Gangaur 2023: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर पूजा की जाती है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए और कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करने का विधान है। गणगौर दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला ‘गण’ यानी शिव और ‘गौर’ का अर्थ है पार्वती। माना जाता है कि गणगौर पूजा और व्रत रखने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही ही कुंवारी कन्याएं व्रत रखती हैं उन्हें जल्द ही मनचाहा वर की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही घर में सुख-समृद्धि, सौभाग्य और खुशहाली आती है।
राजस्थान में गणगौर का ये पर्व 17 दिनों तक मनाया जाता है, जो होली के बाद से आरंभ होता है। गणगौर का पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि के साथ आरंभ होता है और शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को समाप्त होता है। इस दौरान हर रोज माता पार्वती और शिव जी की मिट्टी से मूर्ति बनाई जाती है। इसके बाद गणगौर पूजा वाले दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके पूजा करती हैं।
पूजन तिथि - 24 मार्च 2023, शुक्रवार
तृतीया तिथि प्रारंभ - 23 मार्च, शाम 6:20 मिनट से
तृतीया तिथि समापन - 24 मार्च, शाम 4:59 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:03 बजे से दोपहर 12:52 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योग – सुबह 06:21 बजे से दोपहर 01: 22 बजे तक
रवि योग - दोपहर 01:22 बजे से अगले दिन सुबह 06:20 बजे तक
गणगौर इस पर्व को सुहागिन और कुंवारी कन्याएं धूमधाम से मनाती हैं। इस दिन माता पार्वती और शिव जी की पूजा करने का विधान है। महिलाएं पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य के लिए और कुंवारी कन्याएं मनचाहा पति पाने के लिए इस व्रत को रखती हैं। इस व्रत की सबसे दिलचस्प बात ये है कि इस व्रत के बारे में पत्नी अपने पति को नहीं बताती है और न ही प्रसाद खाने के लिए देती हैं।