उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर पार्थिव गणेश की स्थापना का उल्लेख धर्मशास्त्र में मिलता है। पंचांग की गणना के अनुसार देखें तो इस बार 19 सितंबर मंगलवार को चतुर्थी का पर्व काल मनाया जाएगा। इस दिन शुभ मुहूर्त में घर, प्रतिष्ठान व उद्याोगों में मंगलमूर्ति की स्थापना की जाएगी। मंगलवार के दिन चतुर्थी तिथि एवं स्वाति नक्षत्र तुला राशि के चंद्रमा की साक्षी में गणेश जी की स्थापना होगी इस दिन रवि योग भी रहेगा जो स्थापना के समय विशिष्ट लाभ देगा।
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया धर्म शास्त्रीय मान्यता के अनुसार देखे तो भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन यदि रविवार या मंगलवार का हो, तो उस योग में चतुर्थी प्रशस्त मानी जाती है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें चतुर्थी से लेकर के चतुर्दशी तक का पुण्य फल विशेष रूप से प्राप्त होता है। इस योग में भूमि भवन संपत्ति वाहन से जुड़े सभी कार्य संपादित किये जा सकते हैं।
दस दिवसीय गणेश उत्सव के दौरान यदि सर्वार्थ सिद्धि योगों का संयोग बनता हो तो पर्व की शुभता बढ़ जाती है। इस बार दस दिन में तीन दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेंगे। इसके अंतर्गत मनोवांछित उपासना साधना तथा अलग-अलग प्रकार की गृह उपयोगी खरीदी की जा सकती है।
-20 सितंबर बुधवार दोपहर 3:00 बजे से
-21 सितंबर गुरुवार दोपहर 3:00 बजे तक
-24 सितंबर रविवार दोपहर 1:45 से अगले दिन प्रात: काल तक विशेष।
19 सितंबर को गणेश चतुर्थी पर पाताल वासिनी भद्रा रहेगी। भद्रा के संबंध में अलग-अलग प्रकार की विचारधारा और मतांतर है। पौराणिक तथा धर्मशास्त्रीय अनुक्रम से देखें तो तुला राशि के चंद्रमा की भद्रा का वास पाताल लोक में होता है। शास्त्रीय अभिमत यह है कि पाताल वासिनी भद्रा धन कारक मानी जाती है, धन को देने वाली मानी जाती है इस दृष्टि से इसका कोई दोष नहीं।