Mahabharat: महाभारत में कई बड़े पात्र है, जिन्होंने इसमें अपना काफी योगदान दिया। पितामह भीष्म से लेकर द्रोपदी तक की भूमिका महाभारत में बहुत अहम थी। महाभारत का ऐसा ही एक प्रमुख किरदार द्रोपदी का था। जो पांचों पांडवों की पत्नी होने के साथ स्वाभिमानी महिला और एक धर्मपरायण नारी थी। उसके चरित्र पर जब सवाल उठाए गए और उसको अपमानित किया गया तो वह प्रतिशोध की ज्वाला में जल उठी और उसने जो बदला लेने की प्रतिज्ञा की थी वह महाभारत का युद्ध था। द्रोपदी ने भी अपने जीवनकाल में कुछ गल्तियां
कि थी जिसका परिणाम महाभारत का युद्ध था।
कर्ण का किया था अपमान
द्रोपदी दानवीर कर्ण को चाहती थी, लेकिन सुतपुत्र होने की वजह से उसने कर्ण के लिए अपनी भावनाओं को बदल दिया। द्रोपदी ने कर्ण को स्वयंवर में हिस्सा नहीं लेने दिया और साथ ही अपमानित भी किया। द्रोपदी के द्वारा किए गए अपमान को कर्ण कभी भुला नहीं पाया और आजीवन दुर्योधन की दोस्ती से बंधा रहा। युद्ध में सब कुछ जानते हुए भी कर्ण ने दुर्योधन का साथ देते हुए वीरगति पाई।
पांच पतियों की पत्नी बनी द्रौपदी
स्वयंवर की शर्तों पर मौजूद योद्धाओं में सिर्फ अर्जुन ही खरा उतरा था। इसलिए द्रोपदी अर्जुन की पत्नी बनी थी, लेकिन परिस्थितियां कुछ ऐसी बनी कि द्रोपदी को पांचों पांडवों की पत्नी बनना पड़ा। द्रौपदी ने माता कुंति और महर्षि वेद व्यास के कहने पर पांचों पांडवों को अपना पति स्वीकार कर लिया।
दुर्योधन का किया अपमान
इंद्रप्रस्थ में युधिष्ठिर के राज्याभिषेक के समय द्रौपदी ने महाभारत के बीज बो दिए थे। राजमहल के बीच बने हुए एक मायावी कुंड में जब दुर्योधन गिर गया तो द्रौपदी ने उसको अंधे का पुत्र अंधा कहकर अपमानित किया था। इसका बदला दुर्योधन ने जुए में द्रौपदी को जीतकर भरी राजसभा में उसको निर्वस्त्र करने की कोशिश कर लिया था। इसके प्रतिकार स्वरूप पांडवों ने बदले का निश्चय किया था और महाभारत की नीव पड़ गई थी।
द्रौपदी ने प्रतिशोध के लिए पांडवों को उकसाया
द्रौपदी अपमान के दावानल में जल रही थी। उसने अपने पांचो पतियों को अपमानित होने पर धिक्कारा और बदला लेने के लिए उनको बाध्य किया। उस वक्त द्रौपदी ने कसम खाई थी कि मैं अपने केश उस वक्त तक खुले रखूंगी जब तक दूर्योधन के रक्त से इनको धो नहीं लूंगी। ऐसे समय आवेश में आकर भीम ने भी कसम खाई थी कि मैं दुर्योधन की जंघा को गदा से तोड़ दूंगा और दु:शासन की छाती को चीरकर उसका रक्तपान करूंगा। कर्ण ने उस समय दुर्योधन के सखा का धर्म निभाते हुए द्रौपदी को भरी राजसभा में वेश्या कह दिया था। इसलिए द्रौपदी हमेशा अर्जुन को कर्ण से बदला लेने के लिए कहती रहती थी।
जयद्रथ का किया था अपमान
वनवास के समय जयद्रथ ने द्रौपदी को जबरन अपने रथ पर बिठाकर ले जाने की कोशिश की थी। तभी पांडव आ गए थे और उन्होंने द्रोपदी को छुड़वा लिया था। उस वक्त द्रोपदी ने जयदथ का वध करने से पांडवों को रोका था और उसको अपमानित करवाकर छुड़वा दिया था। इस वज से युद्ध में जयद्रथ ने चक्रव्यूह में फंसे अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु को मार डाला था।