Dhanteras 2022: धनतेरस पर इसलिए खरीदते हैं बर्तन, जानें क्या है इसके पीछे का कारण
Dhanteras Muhurat, Puja Vidhi 2022 कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जा रहा है। इसको लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। इस दिन बर्तन खरीदने के साथ सोना-चांदी खरीदने की भी परंपरा है।
By Sandeep Chourey
Edited By: Sandeep Chourey
Publish Date: Sat, 22 Oct 2022 08:40:00 AM (IST)
Updated Date: Sat, 22 Oct 2022 03:53:11 PM (IST)
Dhanteras Muhurat, Puja Vidhi 2022 । पूरे देश में दिवाली की धूम सुनाई दे रही है। बाजारों की गलियां लोगों से गुलजार हैं। साथ ही घरों में साफ-सफाई जोरों से चल रही है। दिवाली के दिन मां लक्ष्मी के आगमन के लिए स्वागत की तैयारियां जोरों पर हैं। ऐसे में दिवाली से पहले मनाए जाने वाले धनतेरस के त्योहार की भी तैयारी में लोग जुटे हैं। धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने के परंपरा रही है। हम हर साल देखते हैं कि धनतेरस के दिन बर्तन खरीदे जाते हैं। हालांकि बर्तनों के साथ इस सोना, चांदी या फिर कांसा भी खरीदा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं धनतेरस के दिन बर्तन क्यों खरीदे जाते हैं।
इसलिए खरीदे जाते हैं बर्तन
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जा रहा है। इसको लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। इस दिन बर्तन खरीदने के साथ सोना-चांदी खरीदने की भी परंपरा है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन ही भगवान धन्वंतरि महालक्ष्मी की तरह सागर मंथन से उत्पन्न हुए थे। जब भगवान धनवन्तरी का जन्म हुआ तो उनके एक हाथ में पात्र (बर्तन) था। इस पात्र में अमृत भरा हुआ था। भगवान घनवन्तरी के हाथ में रखा कलश अमृत से पूरे संसार को चिर काल तक जीवित रखने की शक्ति रखता है। इसके बाद से ही मान्यता है कि भगवान धनवन्तरी के जन्मदिन पर बर्तन खरीदे जाने चाहिए, ताकि भगवान से कलश से अमृत का कुछ अंश याचकों के बर्तन में भी गिरे। इससे लोगों के घरों में धन धान्य के भंडार भरे रहें और सुख समृद्धि का निवास घरों में रहे।
धनतेरस पर जलाया जाता है यमीदप
धनतेरस के दिन यमदीप जलाने की भी परंपरा रही है। हर साल धनतेरस के दिन चार बातियों का यमदीप जलाकर दरवाजे पर रखा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से परिजनों को अकाल मृत्यु से बचाव मिलता है। मान्यता के अनुसार घर के मुख्य दरवाजे पर बाहर की ओर मुंह करके 4 बातियों का दिया जलाकर रखा जाता है। इससे अकाल मृत्यु से बचाव होता है। इसके साथ ही भगवती लक्ष्मी को नैवेद्य में धनिया, गुड़ व धान का लावा अर्पित करने से सुख और समृद्धि प्रदान होती है।