धर्म डेस्क, इंदौर। चैत्र नवरात्रि पर्व के छठे दिन मां दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यता है कि देवी कात्यायनी ऋषि कात्यायन की पुत्री है, इस कारण उनका नाम कात्यायनी पड़ा। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, यदि किसी जातक की विवाह में बाधा आ रही है या पारिवारिक जीवन में तनाव रहता है तो चैत्र नवरात्रि के दौरान मां कात्यायनी की पूजा जरूर करना चाहिए। ऐसे में 14 अप्रैल 2024 को चैत्र नवरात्रि का छठा दिन है और इस दिन मां कात्यायनी की पूजा के दौरान इन बातों का ध्यान रखें।
मां कात्यायनी को सिंगार सोने की तरह चमकता होना चाहिए। सिंगार के दौरान 4 भुजाओं में अस्त्र-शस्त्र से सुशोभित होना चाहिए। शेर पर सवार मां की 4 भुजाएं हैं, इनके बाएं हाथ में कमल, तलवार व दाहिने हाथों में स्वास्तिक और आशीर्वाद की मुद्रा होती है। पौराणिक मान्यता है कि मां कात्यायनी ने महिषासुर का वध किया था। यही कारण है कि मां कात्यायनी को देवी महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है।
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