Chaitra Navratri 2020: नवरात्र में ऐसा है घट स्थापना का महत्व, जानिए विधि
Chaitra Navratri 2020: शास्त्रों के अनुसार कलश में देवी-देवताओं का वास रहता है।
By Yogendra Sharma
Edited By: Yogendra Sharma
Publish Date: Sun, 22 Mar 2020 03:51:15 PM (IST)
Updated Date: Sun, 22 Mar 2020 03:51:15 PM (IST)
Chaitra Navratri 2020: सनातन संस्कृति में किसी भी शुभ कार्य का प्रारंभ करने पर कलश स्थापना का बड़ा महत्व है। कलश को शुभ माना जाता है और विधि-विधान से इसकी स्थापना कर पूजा की जाती है। धार्मिक शास्त्रों नें कलश को सुख- समृद्धि, ऐश्वर्य और आरोग्य का प्रतीक माना जाता है और मान्यता है कि कलश के मुख में भगवान विष्णु, गले में रुद्र, उसके मूल में ब्रह्मा और मध्य में देवी का वास होता है। कुछ ग्रंथों में कलश को श्रीगणेश बताया गया है। इसलिए नवरात्र के अवसर पर घट स्थापना की जाती है।
कलश से मिलती है सकारात्मक ऊर्जा
मान्यता है कि शुभ अवसरों पर घट स्थापना करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा का नास होता है और सकारात्मकता में वृद्धि होती है। इस साल चैत्र नवरात्र का प्रारंभ 24 मार्च, बुधवार से हो रहा है। नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना का विधान है और इसकी स्थापना के साथ ही नवरात्र का प्रारंभ हो जाता है। कलश की स्थापना के लिए पूजास्थल की उत्तर-पूर्व दिशा को उत्तम माना जाता है। घट स्थापना वाली जगह को पहले गंगाजल या स्वच्छ जल से धोया जाता है और फिर मिट्टी और उसके ऊपर जौ बिछाए जाते हैं। मिट्टी पर जल छिड़ककर उसके ऊपर कलश की स्थापना की जाती है।
कलश में रखें सिक्का
कलश में जल भरकर उसमें एक सोने, चांदी या तांबे का सिक्का रखा जाता है। कलश के जल में गंगाजल या किसी पवित्र नदी का जल मिलाया जाता है। इसके साथ ही कलश में रोली, मौली, इत्र, सुपारी, दुर्वा, पंचरत्न के साथ अशोक या आम के पत्ते लगाए जाते हैं। कलश को मिट्टी या तांबे के ढक्कन से ढंक कर एक मिट्टी के पात्र में जवारे बोना चाहिए। कलश के सामने संभव हो तो अखंड जोत जलाना चाहिए। इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति।
नर्मदे सिंधु कावेरि जलेSस्मिन् सन्निधिं कुरु।।