धर्म डेस्क, इंदौर। होली का त्योहार एक जीवंत उत्सव है और इसकी धूम पूरे देश में देखने को मिलती है, लेकिन ब्रज की होली यदि किसी ने एक बार देख ली तो वह जीवन भर नहीं भूल पाता है। यही कारण है कि होली का पर्व मनाने के लिए देशभर से लोग मथुरा या वृंदावन पहुंचते हैं। ऐसे में यदि आप भी होली मनाने के लिए मथुरा-वृंदावन जाने की योजना बना रहे हैं तो वहां संपन्न होने धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शेड्यूल एक बार जरूर चेक कर लें।
ब्रज में होली का उत्सव भगवान कृष्ण का सम्मान में मनाया जाता है। इस दौरान यहां लठमार होली, फूलों की होली, विधवा होली और रास-लीला जैसे विभिन्न रीति-रिवाज संपन्न होते हैं। यही कारण है कि होली का त्यौहार विश्व भर से लोगों को आकर्षित करता है और विभिन्न मंदिरों में रंगारंग कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इस साल 25 मार्च 2024 को होली मनाई जाएगी। मथुरा-वृंदावन में होली उत्सव एक सप्ताह पहले ही शुरू हो जाता है। बरसाना में 17 मार्च को लड्डू होली के साथ इस त्योहार की शुरुआत हो चुकी है। जिसमें महिलाएं पुरुषों पर लड्डू फेंकती हैं, जो गोपियों द्वारा भगवान कृष्ण को छेड़ने के भाव को दर्शाता है।
18 मार्च को बरसाना में लट्ठमार होली खेली गई। इस सांस्कृतिक उत्सव के दौरान महिलाएं पुरुषों पर लाठी बरसाती है। इस उत्सव में मथुरा के पुरुष विशेष रूप से बरसाना पहुंचते हैं और उत्साह पूर्वक आयोजन में हिस्सा लेते हैं।
लट्ठमार होली बाद 19 मार्च को नंदगांव में भी इसी तरह की प्रथा का पालन किया जाता है, जब बरसाना के पुरुष शहर में आते हैं और महिलाओं को हल्के-फुल्के अंदाज में लाठियों से छेड़ते हैं। गोपियों के स्थान पर खड़ी महिलाएं उन्हें लाठियों से भगाती हैं, जो होली पर भगवान कृष्ण और गोपियों के बीच होने वाले हर्षोल्लास का प्रतीक है।
इसके बाद 20 मार्च को वृंदावन में फूलों की होली खेली जाएगी। इस दौरान वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर में भगवान कृष्ण पर फूलों की वर्षा की जाती है। इसके बाद सभी लोग एक-दूसरे पर फूलों की पंखुड़ियां फेंक कर होली खेलते हैं।
मथुरा से करीब 15 मील दूर गोकुल में लट्ठमार होली मनाई जाएगी। यह प्रथा भी लट्ठमार होली के समान है। महिलाएं लड़कों को लट्ठों की बजाय छोटी-छोटी डंडियों से धीरे से पीटती हैं।
वृन्दावन आश्रमों में रहने वाली विधवाएं इस जीवंत उत्सव में भाग लेती है और एक-दूसरे को रंग लगाती है। ये ऐसी महिलाएं होती हैं, जो अपने पतियों को खो चुकी हैं। कई खुशियों और उत्सवों से वंचित जीवन जीती हैं, लेकिन होली का उत्सव पूरे उत्साह के साथ मनाती है।