भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। बुधवार 15 मार्च को सूर्य ने मीन राशि में प्रवेश कर लिया। इसके साथ ही खरमास लग गया है। सूर्य इस राशि में 14 अप्रैल यानी करीब 30 दिन रहेंगे। लेकिन एक मई तक कोई विवाह मुहुर्त नहीं होने से आगामी 46 दिनों तक विवाह नहीं होंगे। इसके पहले विवाह का मुहूर्त नौ मार्च था।
पंडित विष्णु राजौरिया ने बताया कि सूर्य जब भी धनु या मीन किसी भी राशि में जातें है तो खरमास का आरंभ हो जाता है। फिलहाल, सूर्य मीन राशि में गोचर कर रहे हैं। खरमास के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। दरअसल, सूर्य को आत्मा का कारक ग्रह माना गया है। गुरु को धर्म का कारक ग्रह बताया गया है। इस समय को आत्मा और परमात्मा के मिलन का समय माना जाता है। धार्मिक दृष्टि से ऐसी मान्यता है कि इस समय सूर्य और गुरु साथ होते हैं तो देव ध्यान, यज्ञ, तप आदि कर्म करना शुभ फलदायी रहता है। जब सूर्य गुरु की राशि में हो तो इस दौरान सांसारिक कार्य से अपना मन हटाकर धर्म और अध्यात्म में मन लगाना चाहिए।
मुहूर्त नहीं, तो भी कर सकेंगे अक्षय तृतीया को विवाह
पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य के लिए मुहूर्त जरूर देखा जाता है। ग्रह-नक्षत्रों के संयोग से बने शुभ योग में ही शादी, मुंडन, जनेऊ, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य होते हैं। शादी-विवाह के लिए सबसे ज्यादा शुभ मुहूर्त का ख्याल रखा जाता है। हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का विशेष महत्व होता है। इसे अबूझ मुहूर्त माना जाता है, ऐसे में जिनका कुंडली से मुहूर्त नहीं निकलेगा वे भी इस दिन विवाह कर सकेंगे। इस साल 22 अप्रैल शनिवार को अक्षय तृतीया रहेगी।
विवाह नहीं होने पर ये करें उपाय
पंडित आचार्य प्रधान ने बताया कि जिन लोगों की शादी-विवाह में देरी हो रही है। वह विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करके विष्णु भगवान की प्रतिमा को हल्दी का लेपन करें और तुलसी चढ़ाने से विवाह की अड़चन दूर होती है। इसी तरह गुरुवार को लक्ष्मीनारायण भगवान का दर्शन करें और पीले फल चढ़ाकर पीले वस्त्र अर्पित करें।
विवाह के मुहूर्त
मई : एक, दो, तीन, 10, 11, 12, 13, 20, 21, 26, 27, 28, 29 और 30
जून : पांच, छह, सात, 11, 12, 13 और 23, 29 जून को फिर देवशयनी एकादशी होने से 23 नवंबर तक देवशयन काल होने से विवाह आदि शुभ कार्यो के मुहूर्त नहीं है।
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