शुक्र देव को भौतिक सुख, ऐश्वर्य, भोग-विलास, विलासिता, फैशन, विवाह, शौहरत, प्रेम और सौंदर्य के कारक माना गया है। शुक्र देव वृषभ और तुला राशि के स्वामी और असुरों के गुरु हैं। इन्हें 27 नक्षत्रों में से पूर्वा फाल्गुनी, भरणी और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। शुक्र देव को जीवन में प्यार, विवाह और सांसारिक सुखों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। बुध, शनि और केतु शुक्र देव के मित्र हैं, जबकि सूर्य, चंद्रमा और राहु शत्रु हैं। कुंडली में अगर शुक्र उच्च स्थान पर हैं तो सुख-समृद्धि, मनोवांछित फल, मान-सम्मान और शोहरत की प्राप्ति होती है। वहीं, कुंडली में शुक्र के निम्न स्थान पर होने से पति-पत्नी के बीच मतभेद, झूठे आरोप, कोर्ट-कचहरी के मामले और हर क्षेत्र में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आइए जानते हैं कुंडली के सभी 12 भावों में शुक्र का क्या प्रभाव पड़ता है।
1.कुंडली के प्रथम भाव में शुक्र देव के विराजमान होने पर जातक तेजस्वी बनता है। नृत्य, अभिनय, गायन, चित्रकारी का शौकीन होता है। नए-नए कपड़े और आभूषण पहनना पसंद करता है। हर क्षेत्र में मान-सम्मान प्राप्त करता है। शरीर से स्वस्थ्य व निरोगी होता है। अपना जीवन सुखमय व्यतीत करता है।
2.कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र देव की उपस्थिति से जातक अधिक धन प्राप्त करता है। बुद्धिमान, मृदुभाषी और मिलनसार होता है। दान-पुण्य के कार्य में गहरी रुचि रहती है। यशस्वी होने के साथ कुल देवी को मान्यता देता है। वाहनों का काफी शौकिन होता है। परिवार की हर जरूरत पूरी करता है।
3.कुंडली के तीसरे भाव में शुक्र देव की मौजूदगी से जातक एक बड़ा व्यापारी होता है। जिसका कारोबार विदेशों तक फैला होता है। यात्रा करने का शौकीन और धनवान होता है। सोशल मीडिया से धन प्राप्त करता है। आध्यात्मिक कार्यों में हमेशा रुचि लेता है। वैवाहिक जीवन में कुछ परेशानियों का सामना करता है।
4.कुंडली के चतुर्थ भाव में शुक्र देव के होने से जातक धर्म के कार्य करता है। जीवनसाथी के साथ अच्छा समय व्यतीत करता है। परोपकारी स्वभाव का दूसरों का हित करने वाला होता है। भाई-बहन की मदद से पारिवारिक बिजनस को विदेशों में फैलाता है। बुद्धिमान और धनवान होता है। विद्या दोनों संपूर्ण जीवन आनंदमय होकर जीता है। माता-पिता की सेवा करता है।
5.कुंडली के पंचम भाव में शुक्र देव के विराजित होने से जातक व्यवहार कुशल व न्याय प्रिय होता है। घर में मुसाफिर की तरह रहता है। ईश्वर के प्रति आस्थवान होता है। सरकार द्वार सम्मान भी प्राप्त करता है। कन्या धन का मालिक बनता है और पुत्र की कामना करता है। इन्हें अचानक बहुत सारा धन प्राप्त होता है।
6.कुंडली के छठवें घर में शुक्र देव के होने से जातक गुप्त परेशानियां का शिकार हो जाता है। आमदनी कम खर्च ज्यादा होते हैं। शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है। अपने काम से काम रखता है। शुक्र के प्रभाव से मेहनती बन जाता है। अपने बिजनेस में भी इनको ज्यादा लाभ नहीं मिल पाता है।
7.कुंडली के सातवें घर में शुक्र देव की उपस्थिति होने से जातक क्रिएटिविटि वाले काम करता है। आस्थवान और आध्यात्म से जुड़ा हुआ रहता है। इन्हें थोड़ी सी मेहनत करने पर आराम देने वाली चीजों की प्राप्ति होती है। गायन व अभिनय के क्षेत्र में काफी रुचि रहती है। शादी के बाद ऐसे व्यक्ति का भाग्य उदय होता है। सरकार द्वार सम्मान मिलता है।
8.कुंडली के आठवें भाव में शुक्र देव के होने से व्यक्ति देखने में सुंदर आकर्षक होता है। जीवनसाथी और संतान को लेकर चिंता बनी रहती है। स्त्री और ट्रस्ट के माध्यम से धन प्राप्त करता है। विदेश यात्रा को लेकर कर्ज की स्थिति बनती है। शत्रुओं से परेशान रहता है। सदाचारी व्यवहार का होता है।
9.कुंडली के नौवें भाव में शुक्र देव की उपस्थिति से जातक बलशील, परोपकारी और अनेकों गुणों का धनी होता है। बाहुबल से धन अर्जन करता है। खेल कूद से जुड़े कार्यों में धन प्राप्त करता है। शादी के बाद सफलता प्राप्त होती है। पिता के साथ आपका व्यवहार थोड़ा प्रतिकूल रहता है।
10.कुंडली के दसवें भाव में शुक्र देव के विराजमान होने से जातक आकर्षक स्वभाव वाला होता है। व्यवहार से शांत और मिलनसार होता है। किसी भी प्रकार के विवाद से दूर रहता है। पूजा-पाठ, दान-पुण्य के कार्यों में रुचि लेता है। विवाह के बाद भाग्य का उदय होता है और धन लाभ प्राप्त होता है। धन की कभी नहीं होती।
11. कुंडली में शुक्र के ग्यारहवें भाव में स्थित होने से जातक देखने में आकर्षक और निरोगी रहता है। सरकार में अच्छी पहुंच होती है। समाजिक कार्यों से जुड़ा होता है। वाक्पटुता के कारण काफी प्रसिद्धि प्राप्त करता है। जीवन को सुखमय तीरके से व्यतीत करता हैं। सभी प्रकार की समृद्धि प्राप्त करता है।
12.कुंडली में शुक्र देव के बारहवें भाव में स्थित होने से जातकतेजस्वी और वैभव प्राप्त करने वाला होता है। परिवार की हर जरूरत को पूरा करता है। अपनी सुख-सुविधाओं पर खर्च करने में जरा सा भी संकोच नहीं करते। विवाह अपेक्षाकृत जल्दी हो जाता है और मित्रों की संख्या भी खूब होती है। हर क्षेत्र में कामयाब होता है।
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