Jyotirlinga: भगवान शिव सरल, सौम्य और आशुतोष (जल्दी प्रसन्न होने वाला) हैं। उन्हें सिर्फ जल और बिल्व पत्र से प्रसन्न किया जा सकता है। धरा पर देवादि देव महादेव के 12 ज्योतिर्लिंग विराजमान हैं। कहा जाता है कि अपने संपूर्ण जीवनकाल में इन 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने से सात जन्मों के पाप कट जाते हैं। शिव महापुराण के कोटि रूद्र संहिता के अन्तर्गत महाशिव के ज्योतिर्लिंग के बारह स्वरूपों का उल्लेख किया गया है, जिन्हें सुनने मात्र से भी पाप दूर हो जाते हैं। आइये आज हम आपको इस मंत्र के बारे में बताते हैं जिसके जप से एक साथ 12 ज्योतिर्लिंगों का स्मरण कर महादेव को प्रसन्न किया जाता है।
द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥ परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥ वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे। हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥ एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
अर्थ - सौराष्ट्र में सोमनाथ, श्रीशैल पर मल्लिकार्जुन, उज्जैन में महाकाल, ओंकार तीर्थ में परमेश्वर, हिमालय के शिखर पर केदार, डाकिनी में भीमशंकर, वाराणसी में विश्वनाथ, गोदावरी के तट पर त्र्यंबक, चिता भूमि में वैद्यनाथ, दारूकावन में नागेश, सेतुबंध में रामेश्वर और शिवालय में घुश्मेश्वर का स्मरण करें। जो प्रतिदिन प्रात: काल उठकर इन बारह नामों का पाठ करता है वह सब पापों से मुक्त हो संपूर्ण सिद्धियों का फल पाता है।
माना जाता है कि पृथ्वी के वो स्थान जहां स्वयं भगवान शिव प्रकट हुए थे वहां ज्योतिर्लिंगों की स्थापना हुई है। इन सभी ज्योतिर्लिंगों के अलग-अलग नाम और पूजन के अलग-अलग विधान हैं। शिव पुराण के अनुसार सभी ज्योतिर्लिंगों के उप लिंग भी हैं। मान्यता है कि इन ज्योतिर्लिंग का प्रतिदिन स्मरण करने से सात जन्मों के पाप मिट जाते हैं। इस मंत्र के नियमित जप से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा करते हैं।
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