चौपड़ खेल का नाम आपने सुना होगा या कभी खेला भी होगा। मध्य प्रदेश के ओमकारेश्वर में यह खेल स्वयं भगवान शिव माता पार्वती के साथ खेलते हैं। देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक इंदौर शहर के पास स्थित ओमकारेश्वर एक प्रसिद्ध एवं महत्वपूर्ण स्थान माना गया है। इस मंदिर में ब्रह्मपुरी, विष्णुपुरी एवं शिवपुरी नाम के तीन क्षेत्र हैं। नर्मदा नदी के तट पर बसा यह स्थान करोड़ों भक्तों की श्रद्धा का केंद्र है। यह पहला ऐसा ज्योतिर्लिंग है जहां भगवान शिव माता पार्वती के साथ विश्राम के लिए आते हैं। यहां पर शिवजी की तीन प्रहर की आरती की जाती है। कहते हैं कि सुबह, शाम और रात्रि को शयानारती के समय स्वयं शिवजी उपस्थित रहते हैं।
लोकथाओं के अनुसार यहां ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव और मां पार्वती दोनों चौपड़ खेलने आते हैं। शयनकाल की आरती के बाद शयन आसन में शिव-पार्वती जी के लिए यहां पर चौपड़ सजयी जाती है। यह परंपरा प्राचीन काल से सतत चल आ रही है। प्रतिदिन पुजारी द्वारा ज्योतिर्लिंग के ठीक सामने चौपड़ पिछाई जाती है। इसके बाद मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं। किसी भी व्यक्ति को मंदिर में आने-जाने की अनुमति नहीं होती है। अगले दिन मंदिर का ताला खोला जाता है। सुबह के दृश्य के अनुसार चौपड़ पर रखी गोटे और पासे इस प्रकार से बिखरे मिलते हैं कि जैसे उनसे खेला गया था। मंदिर के महंतों द्वारा बताया जाता है कि ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग ही एक मात्र ऐसा तीर्थ स्थल है। जहां हर रात भगवान शिव और माता पार्वती आते हैं और उसके बाद वे दोनों चौसर खेलते हैं। कहते हैं कि तीनों लोक का भ्रमण करने के बाद शिवजी यहां पर चौसर खेलने के बाद रात्रि विश्राम करते हैं।
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