बचपन से हम और आप घरों में देखते आए हैं कि बड़े-बुजुर्गों का सम्मान करने के लिए हमेशा उनके चरण में नतमस्तक होकर उन्हें प्रणाम किया जाता है। उनके चरणों को छूकर आशीवार्द लिया जाता है। ये पंरपरा कृष्ण के द्वापर, राम के त्रेता और सतयुग से निरंतर चली आ रही है। सनातन परंपरा में कई प्रकार रीति रिवाज बने हुए हैं। ये रिवाज हमारे ऋषि-मुनियों ने काफी गहन शोध कर बनाए थे। हमारे यहां बुजुर्गों के पैरों को छूकर, बल, विद्या, बुद्धि और सुख-समृद्धि का अशीर्वाद मांगा जाता है और वरिष्ठ व्यक्ति अपने से छोटे को अपने अच्छे कर्मों के फल के रूप में ये सभी चीजें आशीर्वाद के रूप में देते हैं। बचपन से लेकर आज तक हमें अपने से वरिष्ठों का सम्मान करने और उनके चरण स्पर्श करने की जो सीख मिलती रही है, आइए उसके मिलने वाले लाभ के बारे में जानते हैं।
आदर का भाव उर्जा का संचार
अपने से वरिष्ठजनों के चरण स्पर्श करने से स्वयं के भीतर नम्रता, दूसरों के प्रति आदर और विनय का भाव जागृत होता है। वहीं, वरिष्ठ व्यक्ति की सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह भी उसके आशीर्वाद के रूप में आपके भीतर प्रवाह होता है।
देवी-देवता भी करते रहे हैं चरण स्पर्श
चरण स्पर्श की महत्ता को इस तरह भी जाना जाता सकता है कि द्वापर युग में स्वयं भगवान कृष्ण ने अपने मित्र सुदामा के चरण स्पर्श किए बल्कि उसे धोया भी था। वहीं, त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने अपने माता-पिता और ऋषिमुनियों के चरण छोकर आशीवार्द लिया था। सुख और सौभाग्य की कामना लिए हम सभी नवरात्रि पर कन्याओं के भी इसी तरह पैर धोकर पूजते हैं।
आशीर्वाद से दूर होती हैं विपत्ति-बाधाएं
अपने वरिष्ठजनों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेने से सभी कार्य बढ़िया से संपन्न होते हैं और तमाम तरह के दोष एवं बाधाएं दूर होती हैं। माता- पिता और गुरु के चरण स्पर्श करने से धन और विवाह संबंधी सारी बाधाएं दूर हो जाएगी।
सफलता प्राप्ति
शास्त्रों में कहा गया है कि बड़ों के चरण स्पर्श करके उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए। विशेष तौर पर जब आप किसी जरूरी काम से कहीं जा रहे हों या कोई नया काम शुरू कर रहे हों। ऐसा करने से सफलता प्राप्ति की संभावना बढ़ जाती है।
कैसे छुएं पैर
किसी संत या वरिष्ठ व्यक्ति का चरण हमें हमेशा अपना सिर दोनों हाथों के बीच में रखते हुए अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को झुका कर करना चाहिए। साथ ही पैर छूते समय उस व्यक्ति के प्रति पूरा आदर एवं सम्मान की भावना होनी चाहिए। अनमने ढंग से किसी का पैर नहीं छूना चाहिए।