ज्योतिष के अनुसार कुंडली में व्यक्ति का संपूर्ण जीवन है। भूत, वर्तमान और भविष्य तीनों इसमें समाहित हैं। 12 भावों से बनी कुंडली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम एवं दशम भाव को केंद्र भाव माना जाता है। केन्द्र भाव कुंडली में सबसे अहम होता है। ज्योतिषाचार्यों का मत है कि यदि कुंडली के केंद्र में उच्च के पाप ग्रह हो तो व्यक्ति बहुत धनवान होने पर गरीब हो सकता है। अगर कुंडली के केंद्र में कोई ग्रह न हो तो ऐसी कुंडली को शुभ नहीं माना जाता है। ऐसा व्यक्ति हमेशा कर्ज में डूबा रहता है। आइये जानते हैं कुंडली के केंद्र भाव में यह किस ग्रह के रहने से क्या मिलता है।
1.यदि किसी जातक की कुंडली के केंद्र भाव में मंगल विराजमान होता है तो वह सेना में कार्य करता है।
2.यदि कुंडली के केंद्र भाव में सूर्य देव की मौजूदगी रहती है तो ऐसा व्यक्ति राजा का सेवक बनता है।
3.कुंडली के केन्द्र में चंद्र देव के होने पर जातक व्यापारी बनता है।
4.जातक की कुंडली के केंद्र भाव में बुध देव मौजूद रहते हैं तो वह अध्यापक होता है।
5.यदि कुंडली के केंद्र भाव में गुरु विराजमान रहते हैं तो जातक ज्ञानी होता है और किसी बड़े क्षेत्र में कार्य करता है।
6.ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शुक्र के केंद्र भाव में होने से व्यक्ति धनवान और ज्ञानवान होता है। इनके जीवन में कभी आर्थिक तंगी नहीं आती।
7. शनि के कुंडली के केंद्र भाव में होने से जातक बुरे लोगों की सेवा करने वाला होता है।
8. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, कुंडली के केंद्र में उच्च का सूर्य और केंद्र के चौथे भाव में गुरु के विराजमान होने से व्यक्ति सुख-सुविधाओं से संपन्न रहता है।
9. यदि कुंडली के केंद्र भाव में कोई ग्रह न होना अशुभ माना जाता है। ऐसा व्यक्ति हमेशा कर्ज से परेशान रहता है।
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