Kundli Facts: ज्योतिष के अनुसार व्यक्ति के जीवन चक्र में कुंडली के सभी 12 भाव अहम भूमिका निभाते हैं। इन भावों में ग्रहों की स्थिति उसे शुभ-अशुभ फल देती है। यदि कुंडली के किसी भाव में शुभ ग्रह विराजमान होते हैं तो उसे शुभ फल की प्राप्ति होती है। वहीं, यदि कुंडली के किसी भाव में अशुभ ग्रह विराजमान हो जाए या उसकी दृष्टि ऐसे घर पर हो जहां पहले से कोई शुभ ग्रह मौजूद हो तो इसका अशुभ फल प्राप्त होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में हर भाव का अपना एक अलग महत्व है। कुंडली का 11वां भाव मित्र और आय से संबंधित है। इससे तय होता है कि जीवन में आपके मित्र कैसे होंगे और किन क्षेत्रों से संबंधित होंगे। आगे जानिए इससे जुड़ी खास बातें
1. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 11 भाव आय का भाव भी होता है जिसके जितने अच्छे मित्र होंगे, आय भाव उतना ही मजबूत होगा।
2. यदि कुंडली के 11 भाव में सूर्य देव विराजमान होते हैं तो ऐसे जातकों की मित्रता राजनीतिक, सत्तासीन लोगों से होती है।
3. यदि कुंडली के 11 भाव में चंद्रमा विराजमान होते हैं तो ऐसे जातकों की मित्रता पायलेट, कलाकार, जहाज के कैप्टन, नाविक से होती है।
4. कुंडली के 11 भाव में मंगल विराजमान होते हैं तो ऐसे जातकों की मित्रता खिलाड़ी, पहलवान, कुक जैसे लोगों से होती है।
5. कुंडली के 11 भाव में बुध देव विराजित होते हैं तो ऐसे जातकों की मित्रता व्यापारी वर्ग, बिजनेस क्लॉस लोगों से होती है।
6. कुंडली के 11 भाव में गुरु देव विराजमान होते हैं तो ऐसे जातकों की मित्रता बैंकिंग, वित्त धार्मिक आस्था, दार्शनिक आदि किस्म के होते हैं।
7. कुंडली के 11 भाव में शुक्र देव विराजमान होते हैं तो ऐसे जातकों की मित्रता अभिनय क्षेत्र, स्त्री, कलाकार आदि मित्रों की संख्या अधिक होती है।
8. कुंडली के 11 भाव में शनि महाराज विराजमान होते हैं तो ऐसे जातकों की मित्रता नौकरी पेशा, सेवावृत्ति, अपनी आयु से अधिक उम्र वाले लोगों से होती है।
9. यदि कुंडली के 11 भाव में राहु या केतू हो तो ऐसे व्यक्ति के छद्म मित्रों व अपनी जाति से अलग लोगों से मित्रों की संख्या अधिक होती है।
10. यदि इस भाव में कोई भी ग्रह नहीं है तो उस पर ग्रहों की दृष्टि और उस भाव की राशि से मित्रता का अनुमान लगाया जा सकता है।
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