गौरीपुत्र भगवान श्री गणेश अग्रपूजा के अधिकारी हैं। किसी भी कार्य से पहले श्री गणेश की पूजा अनिवार्य मानी गई है। गणेश पूजा के लिए कई तरह के मंत्र, स्त्रोत, पाठ और कवच बनाए गए हैं। सनातन धर्म ग्रंथों में उल्लेख है कि गणेश कवच को सिद्ध कर लेने से सभी कार्य में सफलता प्राप्ति होती है। शनैश्चर देव के विनयपूर्ण आग्रह के बाद भगवान श्री हरि विष्णु ने उन्हें गणेश कवच की दीक्षा दी थी। भगवान श्री हरि विष्णु ने कहा था कि यदि कोई व्यक्ति गणेश कवच का जाप दस लाख बार कर लेगा तो गणेश कवच सिद्ध हो जाता है। गणेश कवच के साथ-साथ यदि श्री गणेश यंत्र, सिद्ध गणेश यंत्र की पूजा की जाए तो, गणेश कवच का बहुत लाभ मिलता है, यंत्र शीघ्र ही फल देने लग जाता है। आइये जानते हैं गणेश कवच से होने वाले के बारे में पूरी जानकारी।
गणेश कवच
संसारमोहनस्यास्य कवचस्य प्रजापति:।ऋषिश्छन्दश्च बृहती देवो लम्बोदर: स्वयम्॥
धर्मार्थकाममोक्षेषु विनियोग: प्रकीर्तित:।सर्वेषां कवचानां च सारभूतमिदं मुने॥
ॐ गं हुं श्रीगणेशाय स्वाहा मे पातुमस्तकम्।द्वात्रिंशदक्षरो मन्त्रो ललाटं मे सदावतु॥
ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं गमिति च संततं पातु लोचनम्।तालुकं पातु विध्नेशःसंततं धरणीतले॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीमिति च संततं पातु नासिकाम्।ॐ गौं गं शूर्पकर्णाय स्वाहा पात्वधरं मम॥
दन्तानि तालुकां जिह्वां पातु मे षोडशाक्षर:॥ॐ लं श्रीं लम्बोदरायेति स्वाहा गण्डं सदावतु।
ॐ क्लीं ह्रीं विघन्नाशाय स्वाहा कर्ण सदावतु॥ॐ श्रीं गं गजाननायेति स्वाहा स्कन्धं सदावतु।
ॐ ह्रीं विनायकायेति स्वाहा पृष्ठं सदावतु॥ॐ क्लीं ह्रीमिति कङ्कालं पातु वक्ष:स्थलं च गम्।
करौ पादौ सदा पातु सर्वाङ्गं विघन्निघन्कृत्॥प्राच्यां लम्बोदर: पातु आगन्य्यां विघन्नायक:।
दक्षिणे पातु विध्नेशो नैर्ऋत्यां तु गजानन:॥पश्चिमे पार्वतीपुत्रो वायव्यां शंकरात्मज:।
कृष्णस्यांशश्चोत्तरे च परिपूर्णतमस्य च॥ऐशान्यामेकदन्तश्च हेरम्ब: पातु चोर्ध्वत:।
अधो गणाधिप: पातु सर्वपूज्यश्च सर्वत:॥स्वप्ने जागरणे चैव पातु मां योगिनां गुरु:॥
इति ते कथितं वत्स सर्वमन्त्रौघविग्रहम्।संसारमोहनं नाम कवचं परमाद्भुतम्॥
श्रीकृष्णेन पुरा दत्तं गोलोके रासमण्डले।वृन्दावने विनीताय मह्यं दिनकरात्मज:॥
मया दत्तं च तुभ्यं च यस्मै कस्मै न दास्यसि।परं वरं सर्वपूज्यं सर्वसङ्कटतारणम्॥
गुरुमभ्यर्च्य विधिवत् कवचं धारयेत्तु य:।कण्ठे वा दक्षिणेबाहौ सोऽपि विष्णुर्नसंशय:॥
अश्वमेधसहस्त्राणि वाजपेयशतानि च।ग्रहेन्द्रकवचस्यास्य कलां नार्हन्ति षोडशीम्॥
इदं कवचमज्ञात्वा यो भजेच्छंकरात्मजम्।शतलक्षप्रजप्तोऽपि न मन्त्र: सिद्धिदायक:॥
॥ इति विश्वसारतन्त्रे हरिद्रागणेशकवचं सम्पूर्णम् ॥
गणेश कवच के फायदे
-गणेश कवच का नियमित पाठ करने से एवं सिद्ध कवच धारण करने के बाद मनुष्य चिरंजीवी ,बुद्धिवान ,धनवान हो जाता है।
- गणेश कवचधारी पुरुष को किसी भी प्रकार का रोग नहीं होता है।
-गणेश कवच के पाठ करने से मानसिक रोग, शारीरिक रोग और शोक स्पर्श नहीं कर पाते।
-गणेश कवच का पाठ करने से सारे व्यवधान दूर हो जाते हैं।
-गणेश कवच आपके सभी कामों की रूकावट दूर करता है।
-भगवान विष्णु ने गणेश कवच का महात्मय गान करके सूर्यपुत्र शनैश्चर को कवच का उपदेश दिया।
-गणेश कवच सिद्ध कर लेने पर मनुष्य मृत्यु पर भी विजय प्राप्त करने में समर्थ हो जाता है।
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