25 मई से शुरू हुआ नौतपा 3 जून तक रहेगा। इस दौरान जमकर गर्मी पड़ेगी। ग्रंथों में बताया गया है कि जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में होता है तो इसके शुरूआती 9 दिन बहुत ही खास होते हैं। इसे नौतपा कहते हैं। वहीं वैज्ञानिकों का भी कहना है कि इस समय सूर्य किरणें एकदम सीधी पृथ्वी पर पड़ती हैं। इस वजह से गर्मी ज्यादा होती है। नवतपा में गर्मी से छुटकारा दिलाने वाली चीजों का दान करने से बहुत पुण्य मिलता है। इन दिनों किए गए भले कामों से जाने-अनजाने में हुए पाप भी खत्म हो जाते हैं।
नौतपा के दौरान पेड़-पौधे लगाने से कभी खत्म नहीं होने वाला पुण्य मिलता है। पेड़ों में पानी डालने से पितर प्रसन्न होते हैं और ग्रहों के अशुभ फल से छुटकारा मिलता है। नौतपा में अन्न, जल, कपड़े, छाता और जूते-चप्पल का दान भी करना चाहिए। नौतपा में गर्मी बढ़ने के कारण धरती के अंदर पानी की कमी होने लगती है। पानी की कमी होने से पेड़-पौधों को पानी नहीं मिल पाता है। इस वजह से धर्म ग्रंथों में नौतपा के दौरान पेड़-पौधों को सींचने की परंपरा बताई गई है।
अश्वमेध यज्ञ के समान है पौधारोपण
पद्म, विष्णुधर्मोत्तर और स्कंद पुराण के अनुसार पीपल, आंवला और तुलसी लगाने से कई गुना पुण्य मिलता है। अन्य पुराणों का भी कहना है कि इन पवित्र पेड़-पौधों को लगाने से अश्वमेध यज्ञ जितना पुण्य मिलता है। वहीं नीम, बिल्वपत्र, बरगद, इमली और आम के पेड़ लगाने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।
ठंडक देने वाली चीजों का दान लाभकारी
नौतपा में गर्मी बढ़ने से शरीर में पानी की कमी का खतरा रहता है। इसलिए इन दिनों जरूरतमंदों को ठंडक देने वाली चीजें दान करना चाहिए। ऐसा करने से पुण्य मिलता है। नौतपा के दौरान आम, नारियल, गंगाजल, दही, पानी से भरा मिट्टी का मटका, सफेद कपड़े और छाते का दान ज्यादा प्रभावशाली माना जाता है।
नौतपा में ब्रम्हाजी की करें पूजा
नौतपा के दौरान सूर्य रोहिणी नक्षत्र में होता है। इस नक्षत्र के स्वामी ब्रह्माजी हैं। इसलिए नौतपा में आटे से भगवान ब्रह्मा की मूर्ति बनाकर पूजा करने का विधान है। पूजा के बाद पानी में आटे की मूर्ति का विसर्जन कर दें। इससे मछलियों को भी खाना मिलेगा। ऐसा करने से ब्रह्माजी प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही सुबह पूजा और दान का संकल्प करने के बाद जरूरतमंद लोगों को सत्तू, पानी का घड़ा, पंखा या धूप से बचाने के लिए छाता भी दान कर सकते हैं।