Vastu Shastra: ज्योतिष शास्त्र में शनि को खास और प्रभावशाली ग्रह माना जाता है। शनि को न्याय और कर्म का ग्रह माना गया है। शनि देव लोगों को उनके कर्म के आधार पर शुभ या अशुभ फल देते हैं। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि अशुभ होता है। तब उसके जीवन में कई तरह की परेशानियां आती हैं। अगर व्यक्ति की कुंडली में शनि शुभ स्थिति में है, तो उस व्यक्ति को सुख-सुविधा और धन की प्राप्ति होती है।
ज्योतिष शास्त्र में शनि की दृष्टि को बेहद अशुभ माना गया है। ऐसे में कुछ कार्यों को करने से बचना चाहिए, नहीं तो शनि देव नाराज हो जाते हैं। शनि वास्तु में पश्चिम दिशा के स्वामी हैं। आइए जानते हैं वास्तु शास्त्र में शनि से जुड़े कुछ नियम-
- वास्तु शास्त्र के अनुसार, अगर घर का मेन गेट पश्चिम दिशा में खोला जाए तो नकारात्मकता बढ़ती है। यदि जगह की समस्या के कारण घर का मुख्य दरवाजा पश्चिम दिशा में लगाना पड़े। ऐसे में घर के मुख्य दरवाजे के दोनों ओर घने पेड़ लगाने चाहिए।
- घर की पश्चिम दिशा में कूड़ा करकट और गंदगी न रखें। इससे शनि देव नाराज हो जाते हैं और घर में दरिद्रता आती है।
- घर का पश्चिम भाग खुला होना चाहिए। जिन घरों में पश्चिम दिशा बंद होती है। उन घरों में रहने वाले सदस्यों को मानसिक तनाव रहता है।
- वास्तु शास्त्र के अनुसार, रसोई घर कभी भी पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए। ऐसे घर में आर्थिक झगड़े और कलह होते रहते हैं।
- पति-पत्नी का कमरा पश्चिम दिशा में होने से उनके बीच तनाव बढ़ता है।
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