धर्म डेस्क, इंदौर। सनातन धर्म में करवा चौथ (Karwa Chauth Kab Hai) का पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस त्योहार पर सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस दौरान वह सूर्योदय होने पर व्रत शुरू करती है। चंद्रोदय के साथ ही उनका व्रत समाप्त हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को रखनी वाली महिलाओं का वैवाहिक जीवन बहुत ही शानदार रहता है। उनको अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस आर्टिकल में हम आपको करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth Vrat Vidhi) के नियमों के बारे में बताएंगे।
करवा चौथ का व्रत चंद्र दर्शन और अर्घ्य देने के बाद ही पूरा होता है। महिलाएं इस दिन का चांद का सबसे ज्यादा इंतजार करती हैं, क्योंकि इस व्रत में वह पानी तक नहीं पीती हैं। चांद के निकलने के बाद व्रत को पूरा करने के लिए पूजा करें। एक दीपक जलाएं और छलनी से चंद्रमा के दर्शन करने के बाद पति को देखें। उसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर पति के हाथों से जल को ग्रहण करें।
पंचाग के अनुसार 20 अक्टूबर को सूर्योदय के साथ करवा चौथ के व्रत की शुरूआत हो जाएगी। करवा चौथ के व्रत का समय सुबह 06 बजकर 34 मिनट से शाम 07 बजकर 22 मिनट तक है। करवा चौथ में पूजा का मुहूर्त शाम 05 बजकर 47 मिनट से 07 बजकर 04 मिनट तक है। करवा चौथ के दिन चंद्रोदय का समय शाम 07 बजकर 22 मिनट पर है।
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