Shiv Mahapuran Katha: छीनकर खाने वाले का पेट कभी नहीं भरता- पं. प्रदीप मिश्रा
Shiv Mahapuran Katha: जब मनुष्य को खुद के ऐब दिखने लग जाएं तब समझ लेना कि उसकी प्रगति के मार्ग खुलने लगे हैं।
By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Thu, 09 Feb 2023 09:10:17 AM (IST)
Updated Date: Thu, 09 Feb 2023 09:10:17 AM (IST)
Shiv Mahapuran Katha: बुरहानपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। गिद्ध और कौवा ऊंचा उड़कर भी मांस यानी बुराई पर नजर रखते हैं और हंस कम ऊंचाई पर उड़कर भी मोती पर निगाह रखता है। यही अंतर है विद्यावान और विद्वान में। रावण विद्वान था और हनुमान जी विद्यावान। विद्यावान विनम्र होकर चलता है जबकि विद्वान अहंकारी होकर अपने ही विनाश का मार्ग प्रशस्त करते हैं। विद्यावान गुरू की शरण लेता है तो विद्वान अपना ज्ञान बघारता है।
यह बात बुधवार को कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने समरसता सुमंगलम परिसर में श्री शिव महापुराण कथा के छठवें दिन कही। इस दौरान प्रदेश के वन मंत्री कुंवर विजय शाह, पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस, सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल सहित मुख्य यजमान परिवार ने व्यासपीठ और कथा वाचक की पूजा अर्चना की। पंडित मिश्रा ने कहा कि छीनकर खाने वाले का कभी पेट नहीं भरता। जो बांटकर खाते हैं यानी अपनी कमाई से दान, धर्म और समर्पण भाव से करूणामयी जीवन जीते हैं वे सदैव तरक्की करते हैं।
उन्होंने कहा कि जब मनुष्य को खुद के ऐब दिखने लग जाएं तब समझ लेना कि उसकी प्रगति के मार्ग खुलने लगे हैं। जब तक वो दूसरों में दोष, बुराइयां देखता रहेगा उसका उत्थान बाधित ही होता रहेगा। शिव महापुराण कथा में भीड़ बढ़ाने के लिए नहीं बल्कि शिव को पाने के लिए आना। भक्ति भाव और श्रद्धा को जितना बढ़ाओगे उतना ही फल प्राप्ति को सुनिश्चित करोगे।
पंडित मिश्रा ने कहा कि तीन लोग बड़े भाग्यशाली हुए। दशरथ जी जिनके घर भगवान श्रीराम का जन्म हुआ। दूसरे भीष्म पितामह जिन्होंने अपने जीवन काल में भगवान श्रीकृष्ण के हर स्वरूप को देखा और तीसरा गिद्धराज जटायु, जिसने श्रीराम जी की गोद में प्राण त्यागे। गिद्धराज को अपनी प्रौढ़ अवस्था में सीता जी की रक्षा के प्रयास का लाभ मिला। पक्षी होकर भी भगवान श्री राम की गोद में उन्होंने प्राण त्यागने का आनंद पाकर मोक्ष पाया।