Sheetala Ashtami 2023: 15 मार्च को शीतला अष्टमी, व्रत रखने से मिलती है कई रोगों से मुक्ति, जानें महत्व और पूजा विधि
Sheetala Ashtami 2023: इस साल शीतला अष्टमी 15 मार्च बुधवार के दिन मनाई जाएगी। आइए जानते हैं कैसे करें पूजा और क्या है महत्व
By Arvind Dubey
Edited By: Arvind Dubey
Publish Date: Sat, 11 Mar 2023 09:31:37 AM (IST)
Updated Date: Mon, 13 Mar 2023 10:43:44 PM (IST)
Sheetala Ashtami 2023 Sheetala Ashtami 2023: हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का बहुत महत्व है। इस दिन लोग शीतला माता की पूजा करते हैं और उनके निमित्त व्रत रखते हैं। कई जगहों पर शीतला सप्तमी के दिन पूजा की जाती हैं। वहीं कई लोग इसे बासौड़ा भी कहते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है। यह होली से के बाद आठवां दिन होता है जिसमें माता शीतला की विधि-विधान से पूजा की जाती है। बहुत से भक्त शीतला सप्तमी मनाते हैं तो वहीं बहुत से ऐसे भी भक्त हैं जो अष्टमी तिथि पर शीतला अष्टमी का व्रत रखते हैं। शीतला अष्टमी को बसौड़ा पूजा भी कहते हैं।
स्कंद पुराण के अनुसार, माता शीतला के बारे में विस्तृत विवरण मिलता है जिसमें इन्हें चेचक की देवी भी कहा जाता है, जिनका वाहन गधा है। शीतला अष्टमी हिंदू धर्म के लोगों द्वारा मनाए जाने वाला एक त्योहार है। हर साल इसे चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल शीतला अष्टमी 15 मार्च बुधवार के दिन मनाई जाएगी। इस दिन को लेकर कई मान्यताएं हैं आइए जानते हैं कैसे करें पूजा और क्या है महत्व
शीतला अष्टमी मुहूर्त
चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि आरंभ 14 मार्च 2023 को रात 8 बजकर 22 मिनट पर होगा और अष्टमी का समापन 15 मार्च की शाम 6 बजकर 45 मिनट पर होगा।
शीतला माता को लगाया जाता है बासी भोग
शीतलाष्टमी के दिन शीतला माता की पूजा होती है और उन्हें लगाये जाने वाले भोग को एक दिन पहले तैयार कर लिया जाता है और अष्टमी के दिन बासी खाने का भोग लगाया जाता है और सभी लोग इस दिन बासी भोजन करते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता। अष्टमी तिथि ऋतु परिवर्तन का संकेत करती है कि यह बासी खाना खाने की अंतिम तिथि है।
रोगों से मुक्ति के लिए करें ये व्रत
कहा जाता है कि जो लोग शीतला अष्टमी का व्रत सच्चे मन से करते हैं उन्हें शीतला माता रोगों का शमन कर आरोग्य का आशीर्वाद देती हैं। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से व्यक्ति को खसरे, चेचक, फुंसियों के निशान, नेत्रों के समस्त रोग और दुर्गन्धयुक्त फोड़े आदि जैसे रोगों से मुक्ति मिल जाती है।