एक बरगद के पेड़ की मार्मिक कहानी
परोपकार करना हमारे जीवन का पहला उद्देश्य होना चाहिए।
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Publish Date: Mon, 25 Jan 2016 02:21:50 PM (IST)
Updated Date: Thu, 28 Jan 2016 11:20:44 AM (IST)
बरगद का पेड़ को हिंदू धर्म में पवित्र वृक्ष मना गया है। ऐसा ही एक बरगद का वृक्ष एक गांव में था। स्त्री हों या पुरुष त्योहारों पर उसकी पूजा करते थे। समय बीतता गया और वृक्ष बढ़ता गया। बरगद का वृक्ष बहुत पुराना हो गया तो उसकी डालियां सूखने लगीं और टूटकर बिखरने लगीं।
बरगद के वृक्ष की हालत को मद्देनजर ऱखते हुए गांव में पंच बैठे, तय हुआ कि वृक्ष को काट दिया जाए और लकड़ियों को घरेलू उपयोग में लाया जाए। पंच ने इस बात को सहमति दे दी।
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अगले दिन सुबह से ही गांव वाले बरगद के वृक्ष को काटने के लिए कुल्हाड़ी लेकर पहुंचे। बरगद के पेड़ के नजदीक ही एक ओर पेड़ था, वह बरगद से बोला, 'मान्यवर ! आपको क्रोध नहीं आ रहा है। ये मनुष्य कितना स्वार्थी है। जब आपकी आवश्यकता थी तो ये सभी आपको पूजते थे। और जब आप बूढ़े हो गए हैं तो ये आपका अंत कर रहे हैं।'
परोपकार करना हमारे जीवन का पहला उद्देश्य होना चाहिए। पेड़ परोपकार के लिए फल और लकड़ियां देते हैं। नदी परोपकार के लिए जल देती है। यानी प्रकृति के पंच तत्व परोपकार करते हैं। इसलिये मनुष्य को भी परोकार करना चाहिए।