धर्म डेस्क, इंदौर। पूरे भारत वर्ष में प्रभु श्री राम के प्रति आस्था गली-गली देखी जा सकती है। हर घर में रामजी के श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना की जा रही है। अधिकांश लोग भगवान राम और रामायण के बारे शास्त्रार्थ कर रहे हैं या इससे संबंधित ज्ञान अर्जित कर रहे हैं। ऐसे में राम नाम को लेकर भी हिंदू धर्म ग्रंथों में अलग-अलग तरह की व्याख्या की गई है। पौराणिक धर्म ग्रंथों में राम सिर्फ एक नाम नहीं है, बल्कि इसे एक महामंत्र माना गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सिर्फ राम नाम का जाप करने से ही भक्तों को समस्त दुखों से मुक्ति मिल जाती है।
तैत्तिरीय आरण्यक नामक ग्रंथ में दिए गए एक श्लोक में राम नाम का अर्थ विस्तार से बताया गया है। इसमें बताया गया है कि राम नाम का अर्थ पुत्र होता है। वहीं दूसरी ओर ब्राह्मण संहिता में राम नाम का अर्थ है, ‘जो सभी जगह राम हुआ है’ आप इस बात का वर्णन इस श्लोक में देख सकते हैं - 'रमन्ते सर्वत्र इति रामः।' इसके अलावा भी शास्त्रों में राम नाम का उल्लेख कई स्थानों पर मिलता है। एक श्लोक में राम का उल्लेख करते हुए कहा गया है, “रमन्ते योगिनः अस्मिन सा रामं उच्यते”। जिसका अर्थ है कि योगी ध्यान में जिस शून्य में रमते हैं, उसे राम कहते हैं।
कई विद्वानों ने राम नाम का अर्थ मनोज्ञ भी बताया है। यहां मनोज्ञ का मतलब है, जो मन को जानने वाला हो। कई व्याख्याकारों ने राम नाम का अर्थ संतुष्टि देने वाला भी बताया है।
राम नाम का संधि विच्छेद किया जाए तो इस प्रकार अर्थ निकलता है - र+आ+म
ऐसे में संधि विच्छेद के बाद राम नाम का अर्थ होता है, जो पाताल, आकाश और धरती का स्वामी है, वही राम है। संस्कृत में रम् धातु में घम प्रत्यय जोड़कर राम बना है। यहां रम् का अर्थ है रमण, रमना या निहित होना, निवास करना और घम का अर्थ है ब्राह्मण का खाली स्थान। इस प्रकार राम का अर्थ पूरे ब्रह्मांड में निहित या रमा हुआ तत्व या स्वयं ब्रह्म है। राम नाम का अर्थ संपूर्ण ब्रह्मांड से है।
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