गुरु द्रोणाचार्य ने शिष्यों को ऐसे समझाया अच्छे और बुरे इंसान का फर्क
जो इंसान जैसा होता है उसको दुसरे लोग भी उसी तरह से दिखाई देते हैं।
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Publish Date: Mon, 30 Jul 2018 03:58:42 PM (IST)
Updated Date: Mon, 30 Jul 2018 04:06:49 PM (IST)
मल्टीमीडिया डेस्क। पाण्डवों और कौरवों को शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा देते हुए एक बार गुरू द्रोणाचार्य को उनकी परीक्षा लेने का ख्याल आया । परीक्षा का विषय क्या हो इस पर विचार करते हुए उनके दिमाग में एक युक्ति सूझी कि क्यों न राजकुमारों की वैचारिक प्रगति और व्यावहारिकता की परीक्षा ली जाए। दूसरे दिन सुबह आचार्य ने राजकुमार दुर्योधन को अपने पास बुलाया और कहा कि वत्स, 'तुम समाज से एक अच्छे आदमी की परख करके उसको मेरे सामने पेश करो।'
दुर्योधन ने कहा, 'जैसी आपकी आज्ञा' और वह अच्छे आदमी की खोज में निकल गया। कुछ दिनों बाद वापस दुर्योधन आचार्य के पास आया और कहा कि, 'मैने कई नगरों और गांवों का भ्रमण किया, लेकिन मुझे कहीं भी कोई अच्छा आदमी नहीं मिला।'
इसके बाद आचार्य द्रोण ने युधिष्ठिर को बुलाया और कहा वत्स, 'इस पृथ्वी पर कोई बुरा आदमी ढूंढ कर लाओ।' युधिष्ठिर ने आचार्य को प्रणाम किया और कहा कि, 'आचार्य मैं कोशिश करता हूं' और युधिष्ठिर बुरे आदमी की खोज में निकल गए। काफी दिनों बाद वह लौटकर आए तो आचार्य ने पूछा कि, 'किसी बुरे आदमी को ढूंढकर लाए हो?'
युधिष्ठिर ने कहा कि , 'आचार्य मैने धरती के कोने-कोने में बुरा आदमी खोजा, लेकिन मुझे कोई बुरा आदमी नहीं मिला। इसलिए मैं खाली हाथ लौट आया।' इसके बाद सभी शिष्यों ने गुरू द्रोणाचार्य से पूछा की, 'आचार्य ऐसा क्यों हुआ कि दुर्योधन को कोई अच्छा आदमी नहीं मिला और युधिष्ठिर को कोई बुरा आदमी नहीं मिला।'
आचार्य ने इस सवाल का जवाब दिया और कहा कि, 'जो इंसान जैसा होता है उसको दुनिया में सभी वैसे ही दिखाई देते हैं। इसलिए दुर्योधन को कोई अच्छा आदमी नहीं मिला और युधिष्ठिर को कोई बुरा आदमी नहीं मिला।'