धर्म डेस्क, इंदौर। हिंदू धर्म में कई संप्रदाय हैं, जिसमें स्वामी नारायण संप्रदाय भी बेहद खास है। Swaminarayan Sampraday के अनुयायी दरअसल वैष्णव संप्रदाय के ही अनुयायी है और इसका मूल रामानुज के विशिष्टाद्वैत में निहित है। इस संप्रदाय के लोग कृष्णावतार को सर्वोच्च भगवान मानते हैं। इस संप्रदाय की स्थापना स्वामीनारायण ने की थी, जिन्हें सहजानंद स्वामी के नाम से भी जाना जाता है। स्वामी सहजानंद का जन्म 1781 में हुआ था। एक योगी और तपस्वी के रूप में उन्होंने अपना जीवन कृष्ण भक्त के रूप में बिताया। स्वामी नारायण संप्रदाय अपने खूबसूरत मंदिरों के लिए जाना जाता है। देश के साथ-साथ विदेश में भी कई भव्य और खूबसूरत स्वामीनारायण मंदिर हैं, जिनके एक बार दर्शन आपको जरूर करना चाहिए।
स्वामीनारायण संप्रदाय के हिंदू मंदिर शुरुआत में अहमदाबाद, भुज , मुली , वडताल , जूनागढ़ , धोलेरा , ढोलका , गढ़पुर और जेतलपुर में बनाए गए थे। इन मंदिरों में हिंदू देवताओं की खूबसूरत प्रतिमा अंकित की गई है। इन मंदिरों की वास्तु कल देखने लायक होती है। सभी मंदिरों में भगवान कृष्ण की प्रधानता को दर्शाते हैं।
श्री स्वामीनारायण संप्रदाय का पहला मंदिर 1822 में अहमदाबाद में बनाया गया था। इस मंदिर के लिए भूमि तत्कालीन ईस्ट इंडिया कंपनी सरकार की ओर से दान में दी गई थी। यह मंदिर गुजरात के साथ-साथ भारत के सामाजिक और धार्मिक इतिहास में एक सांस्कृतिक विरासत माना जाता है।
इस मंदिर का निर्माण भी भुज के स्वामीनारायण संप्रदाय के भक्तों द्वारा 1822 में किया गया था। साल 2001 में भुज में आए विनाशकारी भूकंप में भुज शहर के साथ-साथ मंदिर का अधिकांश भाग क्षतिग्रस्त हो गया था। इसके बाद संतों और सत्संगियों ने एक बार फिर भव्य मंदिर बनाने का संकल्प लिया। इसके बाद जो नया मंदिर तैयार किया गया, वह गुजरात का सबसे बड़ा मंदिर है। मई 2010 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में भुज के नए मंदिर को खोला गया था।
वडताल में स्थित स्वामीनारायण मंदिर अपने कमल आकार के लिए विख्यात है। इस मंदिर में 9 खूबसूरत शिखर हैं। इस मंदिर का निर्माण ब्रह्मानंद स्वामी के सानिध्य में किया गया था। इस मंदिर में भगवान कृष्ण की मूर्ति को हरिकृष्ण महाराज कहा जाता है। मंदिर की दीवारों को रामायण की घटनाओं से चित्रित किया गया है।