Chanakya Niti: चुगलखोरों व दूसरों में दोष निकालने वालों के प्रति कैसा रखें व्यवहार, आचार्य चाणक्य ने दी ये सीख
Chanakya Niti आचार्य चाणक्य ने कहा है कि दूसरों की गुप्त बातें सुनने की इच्छा मन में पैदा नहीं होनी चाहिए।
By Sandeep Chourey
Edited By: Sandeep Chourey
Publish Date: Thu, 13 Jul 2023 12:03:41 PM (IST)
Updated Date: Thu, 13 Jul 2023 12:04:38 PM (IST)
Chanakya Niti Chanakya Niti। जीवन में कई तरह की परेशानियां आती है और ऐसी चुनौतियों के लिए कई बार चुगलखोर और दूसरों में दोष निकालने वाले लोग भी जिम्मेदार होते हैं। आचार्य चाणक्य ने चुगलखोर और हमेशा दूसरों में दोष निकालने वाले व्यक्ति के बारे में चाणक्य नीति ग्रंथ में इन श्लोकों के जरिए चर्चा की है -
पिशुनवादिनो रहस्यम्
आचार्य चाणक्य के मुताबिक चुगलखोर अथवा दूसरों के दोष निकालने वाले व्यक्तियों को कोई गुप्त बात नहीं बतानी चाहिए। उन्हें बताई गई गुप्त बात गुप्त नहीं रह सकती। जो लोग दूसरों के दोष निकालते रहते हैं अथवा जिनका स्वभाव दूसरों की निंदा करना है, उनसे कोई भी बात गुप्त रखना असंभव हो जाता है। दूसरों की निंदा करने वाले व्यक्ति को कभी भी अपना सहयोगी नहीं बनाना चाहिए।
पररहस्यं नैव श्रोतव्यम्
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने कहा है कि दूसरों की गुप्त बातें सुनने की इच्छा मन में पैदा नहीं होनी चाहिए। अन्य लोगों की गुप्त बातें सुनने का आग्रह भी नहीं करना चाहिए। जिस प्रकार पराए धन को प्राप्त करने का लोभ चोरी अथवा अपहरण प्रवृत्ति का द्योतक है, उसी प्रकार दूसरों की
गुप्त बातें सुनने व जानने की इच्छा होना भी एक दोष है। सामाजिक दृष्टि से भी यह बात अच्छी नहीं मानी जाती।
वल्लभस्य कारकत्वमधर्मयुक्तम्
आचार्य चाणक्य ने आगे कहा है कि स्वामी का कठोर होना अधर्म माना जाता है। राजा का कर्त्तव्य है कि वह अपने सेवकों का हर प्रकार से ध्यान रखे। हर समय उनसे कठोर व्यवहार करना उचित नहीं, जो स्वामी सदैव अपने नौकरों-चाकरों से कठोरता बरतता है, समय आने पर उसके सेवक विरोधी बन जाते हैं। अनेक बार इन्हीं व्यक्तियों से उसके जीवन के लिए संकट उपस्थित हो जाते हैं, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति अथवा राजा का कर्त्तव्य है कि वह अपने आश्रितों के प्रति ध्यान दे और उनके प्रति उदारता का बर्ताव करे।
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