Adi Shankara Profile। आदि शंकराचार्य भारत के महान दार्शनिक व धर्म प्रवर्तक थे। आदि शंकराचार्य ने बौद्ध धर्म के बढ़ते प्रभाव के बाद सनातन धर्म को जागृत करने के लिए पूरे भारत वर्ष की यात्रा की और सनातन धर्म के प्रति लोगों को जागरूक कर संगठित किया है। Adi Shankara ने ही हिंदू धर्म के 4 मठों का स्थापित किया था। ये चारों मठ आज ही सनातन धर्म और अद्वैत वेदांत की ज्ञान धारा को सुरक्षित और प्रचारित करने का काम कर रहे हैं। इन चारों मठों पर आसीन संन्यासी 'शंकराचार्य' कहे जाते हैं। ये चार मठ हैं -
महान दार्शनिक शंकराचार्य को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। बहुत कम उम्र में ही आदि शंकराचार्य की धर्म में रुचि बढ़ने लगी थी। उन्होंने ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुण्डक, माण्डूक्य, ऐतरेय, तैत्तिरीय, बृहदारण्यक और छान्दोग्योपनिषद् पर भाष्य लिखा। हैरानी की बात ये है कि आदि शंकराचार्य ने ये सब महान कार्य काफी कम उम्र में किए थे। आदि शंकराचार्य का जन्म केरल के मालाबार क्षेत्र के कालड़ी नामक स्थान पर नम्बूदरी ब्राह्मण शिवगुरु एवं आर्याम्बा के यहां हुआ था। ऐसा माना जाता है कि आदि शंकराचार्य का जन्म 788 ईस्वी में हुआ था और वे सिर्फ 32 वर्ष तक ही जिए थे। 820 ईस्वी में उनका स्वर्गवास हो गया था।
शंकराचार्य ने हिंदू धर्म को संगठित करने और जातिवाद के दंश को खत्म करने के लिए 10 संप्रदायों को भी स्थापना की थी। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि सनातन धर्म में अखाड़ों की परंपरा भी आदि शंकराचार्य के समय ही शुरू हुई थी।
अद्वैत वेदांत भारत में आध्यात्मिक के उपजी हुई अनेक परंपराओं में से एक है, जिसके प्रवर्तक भी आदि शंकराचार्य ही थे। आदि शंकराचार्य के मुताबिक, संसार में ब्रह्म ही सत्य है, जगत् मिथ्या है। उन्होंने अद्वैत वेदांत के तहत जीव और ब्रह्म के बारे में विस्तार से व्याख्या करते हुए कहा है कि ये दोनों अलग नहीं है। उन्होंने अपने ब्रह्मसूत्र में "अहं ब्रह्मास्मि" ऐसा कहकर अद्वैत सिद्धांत का सूत्र दिया है।
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