मल्टीमीडिया डेस्क। Indian History : भारतीय इतिहास में रोचक और अहम तथ्यों की भरमार है। हमारे आज के जीवन में बैंकों और खातों की प्रणाली का कितना महत्व है, यह बात किसी औपचारिक परिचय की मोहताज नहीं है। लेकिन आपको शायद यह बात जानकर हैरत होगी कि विश्व में बैंकिंग प्रणाली का जन्म सबसे पहले मेसोपोटामिया में ही हुआ था। यह संसार की सबसे प्राचीन सभ्यता सुमेरियन की देन है। जानिये क्या थी यह सभ्यता और इसकी खासियत।
सुमेर सभ्यता
सुमेरी सभ्यता विश्व में सबसे पुरानी सभ्यता है। इसका समय ईसा से 3500 वर्ष पूर्व माना जाता है। सुमेरी लोगों के भारत के साथ व्यापारिक सम्बन्ध थे। सुमेरी लोग समूचे पूर्व को अपना उद्गम मानते थे। ख्यात इतिहासकार लैंगडन के अनुसार ध्यान से देखा जाए तो मोहन जोदड़ो सभ्यता की लिपि और मुहरें, सुमेरी लिपि और मुहरों से मिलती-जुलती हैं। इतना ही नहीं, सुमेर के प्राचीन नगर ऊर में भारत में चूने-मिट्टी के बने बर्तन भी पाए गए हैं। मोहन जोदड़ो की जो सांड की मूर्ति है, वह सुमेर के पवित्र वृषभ से काफी मिलती है। इसके अलावा हड़प्पा में मिले सिंगारदान की बनावट भी ऊर में मिले सिंगारदान के जैसी ही है। अत: इन सबके आधार पर कहा जा सकता है कि सुमेर और भारत के बीच प्राचीन समय में ही सम्बन्ध थे। वैसे, सुमेर शब्द हमें पौराणिक पर्वत सुमेरु की भी याद दिलाता है।
सुमेरी लोगों की लिपि
विश्व की सबसे प्राचीन लिपि का जन्म भी सुमेर में ही हुआ था। इसमें गीली मिट्टी की पटिया पर कील जैसे किसी नुकीले औज़ार से गोदकर लिखी जाने वाली इस लिपि को कीलाक्षर लिपि कहा जाता है। हेनरी राँलनस ने सबसे पहले इसे पढ़ा था। इस गोदकर लिखने वाली लिपि में विश्व के सबसे प्राचीन व्यापारिक खाते बनाए गए और खातों में दोहरी प्रविष्टि या डबल एंट्री व्यवस्था का भी प्रयोग हुआ, जो आज तक चलन में है। इसी लिपि में प्राचीन कैलेंडर का भी निर्माण हुआ था।
सुमेरी सभ्यता का पतन और बैबिलोनियन का उदय
सुमेरी सभ्यता के पतन के बाद इस क्षेत्र में बैबिलोनियन सभ्यता पनपी थी। इसके ख्यात सम्राट् हम्मुराबी ने उस समय की पुरानी दंड संहिता बनाई थी। यह हम्मुराबी का ही सिद्धांत था कि दंड को अपराध के बराबर होना चाहिए। मसलन- जैसे आंख के बदले आंख निकाली जाए या फिर हाथ काटने के बदले हाथ काटा जाए। इसी सम्राट के वंशज नेबूशदनज़र ने फ़ुरात नदी के पूर्वी किनारे पर विश्व के 7 आश्चर्यों में से एक बाबुल के झूलते बाग़ का निर्माण कराया था। इनमें निचली ज़मीन से ऊंचाई पर बने बाग़ों में सिंचाई का अनोखा संयोजन देखने को मिलता है।