महाभारत के एतिहासिक युद्ध में लगभग 45 लाख लोग शामिल हुए थे। इन 45 लाख लोगों के अलावा भी कई ऐसे लोग थे, जो युद्ध में शामिल नहीं हुए थे लेकिन उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस खबर के जरिए हम एक ऐसी जानकारी दे रहे हैं, जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं। पुरानी कथाओं के अनुसार युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण की नीति की वजह से युधिष्ठिर और अर्जुन की जान बची थी।
कहते हैं, युद्ध के दौरान जब कर्ण ने युधिष्ठिर को पराजित कर दिया था तो घायल युधिष्ठिर का उपचार करने के लिए सहदेव उन्हें छावनी में ले गए थे। जैसी ही अर्जुन को बता चला कि युधिष्ठिर घायल है, वे भी उनसे मिलने के लिए छावनी में पहुंच गए। अर्जुन को अपने सामने देख युधिष्ठिर को लगा कि, अर्जुन ने कर्ण का वध कर दिया है और यही समाचार लेकर वे छावनी में आए हैं। लेकिन, जब युधिष्ठिर को पता लगा कि अर्जुन बिना कर्ण को मारे उनसे मिलने आए हैं, तो उन्होंने अर्जुन को बहुत डांटा।
उस वक्त युधिष्ठिर इतने नाराज थे कि उन्होंने अर्जुन से अपने शस्त्र किसी और को दे देने की बात कही। ये सुनते ही अर्जुन को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने धर्मराज युधिष्ठिर को मारने के लिए तलवार उठा ली। पुराणों के अनुसार अर्जुन ने प्रतिज्ञा ली थी कि जो कोई भी उनसे शस्त्र रखने के लिए कहेगा, वह उस व्यक्ति का वध कर देंगे। इसी प्रतिज्ञा को पूरी करने के लिए अर्जुन ने युधिष्ठिर का वध करने के लिए जैसे ही तलवार उठाई, तभी श्रीकृष्ण ने उन्हें रोक लिया।
उस वक्त अर्जुन ने श्रीकृष्ण से मदद मांगी। अर्जुन ने श्रीकृष्ण से कहा कि, कोई ऐसा उपाय बताए कि मैं अपनी प्रतिज्ञा भी पूरी कर लूं और भाई की हत्या के अपराध से भी बच जाऊं। उस वक्त श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि, सम्माननीय पुरुष जब तक सम्मान पाता है, तब तक ही उसका जीवित रहना माना जाता है। तुमने हमेशा युधिष्ठिर का सम्मान किया है, लेकिन आज तुम उनका थोड़ा अपमान कर दो। श्रीकृष्ण की बात मानकर अर्जुन ने युधिष्ठिर को कटुवचन कहे। युधिष्ठिर को ऐसी कठोर बातें कहकर अर्जुन बहुत उदास हो गए और उन्होंने आत्महत्या के लिए अपनी तलवार उठा ली। उसी वक्त श्रीकृष्ण ने उनसे कहा कि, अर्जुन तुम अपने ही मुख से अपने गुणों का बखान करो, ऐसा करने से यही समझा जाएगा की तिमने अपने ही हाथों अपने आप को मार लिया है। श्रीकृष्ण के कहने पर अर्जुन ने ठीक वैसी ही किया। इसी तरह श्रीकृष्ण ने धर्म, ज्ञान और अपनी लीला से अर्जुन और युधिष्ठिर की जान बचा ली।