खेल तो था बस बहाना, कालिया नाग को सबक था सिखाना!
इसके बाद कालिया नाग हमेशा के लिए यमुना नदी से दूर चला गया।
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Publish Date: Tue, 09 May 2017 10:11:35 AM (IST)
Updated Date: Wed, 10 May 2017 09:32:27 AM (IST)
कालिया नाग कद्रू का पुत्र और पन्नग जाति का नागराज था। वह पहले रमण द्वीप में निवास करता था। लेकिन पक्षीराज गरुड़ से शत्रुता हो जाने के कारण वह यमुना नदी में रहने लगा था।
कालिया नाग के विष के प्रभाव से यमुना नदी में विष फैल गया। किंवदंतियों में वर्णित है कि कालिया नाग जिस यमुना नदी के जिस कुंड में रहता था, उसका जल विष की गर्मी से खौलता रहता था। यहां तक कि उसके ऊपर उड़ने वाले पक्षी भी झुलसकर उसमें गिर जाया करते थे।
श्रीकृष्ण कालिया नाग के विष से परिचित थे। एक दिन अपने सखाओं के साथ गेंद खेलते हुए कृष्ण ने अपने सखा की गेंद यमुना में फेंक दी। वह मित्र गेंद वापस लाने के लिए कृष्ण से जिद करने लगा।
सब सखाओं के समझाने पर भी वह मित्र नहीं माना और गेंद वापस लाने की कहता रहा। कृष्ण ने सखाओं को धीरज बंधाया और पास के एक कदंब के पेड़ पर चढ़ गए। और उन्होंने यमुना के जल में छलांग लगा दी।
उनके जल में कूदते ही कालिया नाग को चेतावनी दी कि, 'अब निर्दोष प्राणियों पर होने वाले अत्याचारों का समय समाप्त हो चुका है।' तब कालिया नाग ने श्रीकृष्ण पर आक्रमण कर दिया।
कालिया नाग ने कृष्ण को एक साधारण बालक समझकर अपनी कुंडली में दबोच लिया और उन पर भयंकर विष की फुफकारें छोड़ने लगा, किंतु उस समय कालिया को बड़ा आश्चर्य हुआ, जब कालिया के विष का कृष्ण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। वह थक चुका था।
तब कृष्ण उछलकर कालिया नग के फनों पर चढ़ गए और उस पर पैरों से प्रहार करने लगे। वृंदावन के सभी नर-नारियों ने देखा कि भगवान श्रीकृष्ण के एक हाथ में बांसुरी थी और दूसरे हाथ में वह गेंद थी, जिसे लेने का बहाना बनाकर वे यमुना में कूदे थे।
इसके बाद कालिया नाग हमेशा के लिए यमुना नदी से दूर चला गया।