रामेश्वरम मंदिर की 6 अनोखी विशेषताएं
श्रीराम ने यहां नवग्रह स्थापन किया था। सेतुबंध यहीं से प्रारंभ हुआ, अतः यह मूल सेतु है।
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Publish Date: Sat, 14 Jan 2017 03:32:04 PM (IST)
Updated Date: Tue, 17 Jan 2017 10:41:25 AM (IST)
हिंदुओं के चार धामों में से एक धाम रामेश्वरम धाम। यहां भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग भी स्थापित हैं जिसे रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग कहते हैं। यह तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित रामेश्वर मन्नार की खाड़ी में स्थित द्वीप पर स्थित है।
# उत्तराखंड के गंगोत्री से गंगाजल लेकर श्री रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग पर अर्पित करने का विशेष महत्त्व बताया गया है। श्री रामेश्वर पहुंचने वाले तीर्थ यात्री के पास यदि गंगाजल उपलब्ध नहीं है, तो रामेश्वर के पण्डे दक्षिणा लेकर छोटी-छोटी शीशियों में गंगाजल देते हैं।
# कहते हैं कि इसी स्थान पर श्रीरामचंद्रजी ने लंका के अभियान के पहले शिव की आराधना करके उनकी मूर्ति की स्थापना की थी।
# पुराणों में रामेश्वरम् का नाम गंधमादन है। रामेश्वरम का मुख्य मंदिर 120 फुट ऊंचा है।
# रामेश्वरम् से थोड़ी ही दूर पर जटा तीर्थ नामक कुंड है। किंवदंती के अनुसार श्री राम जी ने लंका युद्ध के पश्चात् अपने केशों का प्रक्षालन किया था।
# श्रीराम ने यहां नवग्रह स्थापन किया था। सेतुबंध यहीं से प्रारंभ हुआ, अतः यह मूल सेतु है। यहीं देवी ने महिषासुर का वध किया था।
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# रामेश्वरम से लगभग तीस किलोमीटर की दूरी पर धनुष्कोटि नाम स्थान है। यहां अरब सागर और हिंद महासागर का संगम होने के कारण श्राद्ध तीर्थ मानकर पितृकर्म करने का विधान है।