Ramayan: भगवान श्रीराम संपूर्ण जीवन पर आधारित सनातन धर्म के महान व पवित्र ग्रंथ रामायण कलियुग में सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाने में सहायक है। महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखी गई रामायण श्रीराम से संबंधित सभी ग्रंथों में सबसे सटीक मानी गई है। वहीं, गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस वर्तमान में सबसे ज्यादा प्रचलित है। दोनों के पाठ से आत्म शांति, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। लेकिन आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास श्रीरामचरित मानस या रामायण का पाठ करने का समय नहीं है। ऐसे में सिर्फ एक मंत्र का विधि विधान से जाप करने से संपूर्ण रामायण का फल मिल सकता है। इस मंत्र को एक श्लोकी रामायण कहते हैं। आइये जानते हैं कैसे करें इसका जाप
मंत्र
आदि राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्। वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीव संभाषणम्।।
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्। पश्चाद् रावण कुम्भकर्ण हननम्, एतद्धि रामायणम्।।
भावार्थ
एक बार श्रीराम वनवास में गए। वहां उन्होंने स्वर्ण मृग का पीछा किया और उसका वध किया। इसी दौरान उनकी पत्नी वैदेही (सीता जी) का रावण द्वारा हरण किया गया। उनकी रक्षा करते हुए पक्षीराज जटायु ने अपने प्राण गवाएं। श्रीराम की मित्रता सुग्रीव से हुई। उन्होंने उसके दुष्ट भाई बालि का वध किया। समुद्र पर पुल बनाकर पार किया। लंकापुरी का दहन हुआ। इसके पश्चात् रावण और कुम्भकरण का वध हुआ। यही पूरी रामायण की संक्षिप्त कहानी है।
मंत्र जाप की विधि
1.प्रात: स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें
2.कुश के आसन पर बैठकर भगवान श्रीराम का स्मरण करते हुए पूजा करें।
3.रुद्राक्ष की माला लेकर रोज 5 माला इस मंत्र का जाप करें।
4.प्रतिदिन नियत समय पर, एक ही आसन पर बैठकर और एक ही माला से मंत्र जाप किया जाए तो यह मंत्र जल्दी ही सिद्ध हो सकता है।
डिसक्लेमर
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