इंदौर, धर्म डेस्क (Premanand Maharaj)। हिंदू धर्म में प्रसाद को काफी पवित्र माना जाता है और इसे सम्मान के साथ ग्रहण किया जाता है। भगवान को मिठाई और फल प्रसाद के रूप में चढ़ाए जाते हैं और पूजा पाठ के पास इसे लोगों में वितरित किया जाता है। हालांकि, भगवान को प्रसाद चढ़ाने के कई नियम भी बताए गए हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है।
दरअसल, भगवान को अक्सर फलों का भोग लगाया जाता है। भक्तों के बीच अक्सर यह आशंका रहती है कि फल बीज के साथ भगवान को अर्पित किए जाते हैं। इससे ये बीज भी प्रसाद बन जाते हैं, लेकिन प्रसाद ग्रहण करते समय इन बीजों को फेंक दिया जाता है। ऐसी स्थिति में क्या प्रसाद का अपमान होता है। इस सवाल का जवाब वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने दिया है।
प्रेमानंद महाराज का कहना है कि, जब हम भगवान आम का भोग लगाया जाता है, ताे पहले छिलके और गुठली निकाल ली जाती है और सिर्फ गुदा ही भगवान को चढ़ाया जाता है। महाराज का कहना है कि ऐसा सभी फलों के साथ करना चाहिए और भगवान को इसे अर्पित करने से पहले फल में से बीज निकाल लेना चाहिए।
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प्रेमानंद महाराज कहते हैं, जिस तरह हम बगैर बीज के फल खाते हैं, ठीक उसी तरह भगवान को भी बिना बीजों के फल अर्पित करना चाहिए। महाराज के अनुसार, यदि आप भगवान को खरबूजा अर्पित करें, तो इसके बीज निकाल लें और यदि तरबूज चढ़ाते हैं, तो इसे छोटे-छोटे पीस करके बीज निकालना चाहिए।
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