धर्म डेस्क, इंदौर (Premanand Maharaj Katha)। वृंदावन धाम हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में एक है। यहां रोजाना बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मान्यता है कि वृंदावन में श्रीकृष्ण का बचपन बीता था। यहां श्रीकृष्ण से जुड़े कई मंदिर मौजूद हैं। इसके साथ ही कई ऐसे स्थल भी है, जहां श्रीकृष्ण ने लीलाएं की थी।
अगर आप वृंदावन धाम में श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए जा रहे हैं, तो कुछ नियमों का पालन अनिवार्य होता है। कथावाचक प्रेमानंद महाराज ने भी अपनी कथा के दौरान वृंदावन में नियमों के पालन के बारे में विस्तार से बताया है। यह नियम आपको यहां बताते हैं।
प्रेमानंद महाराज ने बताया कि वृंदावन पिकनिक मनाने के उद्देश्य से कभी नहीं आना चाहिए। बुरे विचारों के साथ भी वृंदावन नहीं आना चाहिए। ऐसी कोई क्रिया नहीं करना चाहिए, जो पाप की श्रेणी में आता हो। प्रेमानंद महाराज का कहना है कि इन परिस्थितियों में वृंदावन आने से अच्छा है, धाम के बाहर से ही जयकरे लगा दीजिए आपका कल्याण हो जाएगा।
प्रेमानंद महाराज कहते हैं, भले ही आप वृंदावन एक दिन अथवा इससे अधिक दिन के लिए आएं। यहां आकर उपवास करना चाहिए। यहां के अन्न या फल का सेवन करें और दिन-राम खूब भजन कीर्तन करना चाहिए।
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, वृंदावन में किए गए गलत कार्यों पर पाप लगता है और यह पाप किसी भी तीर्थ, तप अथवा दान-पुण्य और किसी अनुष्ठान से नहीं धुलता है। यहां किए पाप केवल यहीं नष्ट हो सकते हैं।
यह भी पढ़ें: वृंदावन जाएं तो कुछ वस्तुएं कभी न लाएं घर, प्रेमानंद महाराज ने बताया किन सामग्रियों की है अनुमति
यह भी पढ़ें: क्या होता है गुरु मंत्र, प्रेमानंद महाराज ने बताया जाप के लिए किन नियमों का पालन है जरूरी
डिसक्लेमर
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'