धर्म डेस्क, इंदौर (Premanand Maharaj Katha)। महाभारत काल धार्मिक और ऐतिहासिक लिहाज से भारत का प्रमुख कालखंड माना जाता है। यही वो समय है तब कुरुक्षेत्र में महायुद्ध हुआ था। इस युद्ध में कौरवों और पांडवों की सेना आमने-सामने थी। महाभारत युद्ध 18 दिनों तक चला, जिसमें कई योद्धा वीरगति को प्राप्त हुए।
महाभारत युद्ध में होने वाली योद्धाओं की मृत्यु से कई रहस्य भी जुड़े थे। कई लोगों की मृत्यु के कारण उनके पूर्व जन्म में किए गए कर्म बने। इस युद्ध में पितामह भीष्म को कई दिनों तक बाणों की शैय्या पर सोना पड़ा था। प्रसिद्ध कथावाचक प्रेमानंद महाराज ने भीष्म पितामह की इस स्थिति का विस्तार से कारण बताया है।
प्रेमानंद महाराज बताते हैं कि जब भीष्ण बाणों की शैय्या पर लेटे थे, तब उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से इसका कारण पूछा था। भीष्म ने श्रीकृष्ण से कहा कि मै पिछले सौ जन्म देख चुका हूं, मैंने कोई ऐसा पाप नहीं किया कि मुझे बाणों की शैय्या पर लेटना पड़े।
इसके बाद श्रीकृष्ण ने भीष्म से इन जन्मों के भी आगे देखने के लिए कहा। प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि श्रीकृष्ण ने तब भीष्म को बताया कि वे एक नृप राजा थे और उन्होंने एक सांप को उठाकर कांटे वाले वृक्ष पर डाल दिया। वह सांप कई दिन तक कांटों में तड़पता रहा और उसके बाद उसकी मृत्यु हो गई। उसी का ही परिणाम था कि भीष्म 6 बाणों की शैय्या पर लेटे रहे।
अर्जुन और भीष्म पितामह के बीच कुरुक्षेत्र में युद्ध हुआ था। इस दौरान अर्जुन ने भीष्म को बाणों से छलनी कर दिया था और उन्हें बाणों की शैय्या पर लेटा दिया था। इसके बाद भीष्म पितामह महाभारत युद्ध खत्म होने तक इस शैय्या पर लेटे रहे।
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