धर्म डेस्क, इंदौर (Premanand Maharaj)। हिंदू धर्म में मान्यता है कि किसी मृत्यु होने के बाद व्यक्ति को उसके कर्म के अनुसार फल प्राप्त होता है और उसे स्वर्ग अथवा नरक में स्थान मिलता है। सनातन धर्म में माना जाता है कि मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्ति होने से व्यक्ति जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है।
हिंदू धर्म में किसी के निधन के बाद उसकी आत्मा की शांति की प्रार्थना की जाती है और इसके लिए धार्मिक अनुष्ठान भी किए जाते हैं। साथ ही यह भी कहा जाता है कि ‘भगवान आत्मा को शांति प्रदान करें’। लेकिन यह कहने से क्या व्यक्ति की आत्मा को सच में शांति मिलती है, इसका वृंदावन के प्रसिद्ध कथावाचक प्रेमानंद महाराज ने जवाब दिया है।
प्रेमानंद महाराज का कहना है कि भगवान आत्मा को शांति दें कहकर हम सिर्फ भगवान से प्रार्थना करते हैं। लेकिन इतना कहने मात्र से नहीं होगा। उसके लिए भगवान ने साधन बताया है। ये कहकर तो हम सिर्फ सद्भावना प्रकट करते हैं।
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प्रेमानंद महाराज के अनुसार, आत्मा को शांति तभी मिलेगी। यदि हम नाम जप करें और उस व्यक्ति के लिए धर्मानुष्ठान कराएं और उसके लिए भागवत पाठ कराएं। साथ ही तीर्थाटन करें,जिससे उसको शांति प्राप्त हो जाएगी। साथ ही माला फेरने के बाद आत्मा की शांति की कामना करने से भी व्यक्ति को शांति प्राप्त होगी।
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