Premanand Maharaj ने क्यों और किससे कहा- ‘जरा भी दया मत दिखाना, तत्काल गोली मार देना’
प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) ने कहा कि सनातन धर्म हमें दयालु होना सिखाता है, लेकिन यदि सामने कोई आततायी आ जाए, जो निर्दोष लोगों की जान लेने वाला हो, तो उसका वध करना शास्त्र सम्मत है। भगवान सौम्य रूप में आएंगे तो हाथ जोड़कर सेवा करेंगे, लेकिन आतंकी के रूप में आएंगे तो शस्त्र से ही पूजा होगी।
By Arvind Dubey
Publish Date: Sun, 15 Sep 2024 09:00:36 PM (IST)
Updated Date: Mon, 16 Sep 2024 07:48:27 PM (IST)
पढ़िए एक सैनिक और धर्म गुरु के बीच का संवाद। HighLights
- प्रेमानंद महाराज के दरबार में पहुंचा सेना का जवान
- पूछा- आतंकवादी भी इंसान, उसे मारना कितना उचित
- प्रेमानंद महाराज ने शास्त्र और शस्त्र का महत्व बताया
धर्म डेस्क, इंदौर (Premanand Maharaj)। वृंदावन में वास कर रहे धर्मगुरु प्रेमानंद महाराज के सामने अपनी समस्याएं रखने और समाधान पाने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग पहुंचते हैं। हाल ही में सेना का एक जवान भी अपने मन में उठ रहे सवाल लेकर प्रेमानंद महाराज की सभा में पहुंचा।
जवान का सवाल था कि यदि मेरे सामने आतंकवाद खड़ा है, तो मुझे उसे मार देना चाहिए या छोड़ देना चाहिए, क्योंकि हो सकता है कि उसका भी परिवार हो, पत्नी और बच्चे हों।
इस पर प्रेमानंद महाराज ने कहा कि हम उसे बिल्कुल माफ नहीं करेंगे, क्योंकि यदि आपने उसे नहीं मारा, तो वो कितने ही निहत्थे और बेकसूर लोगों की जान ले लेगा। इसलिए आपका उसको मारना ही शास्त्र सम्मत है।
शास्त्र कहता है- आततायी को मार देना ही उत्तम
- प्रेमानंद महाराज ने कहा कि आतंकवादी का उद्देश्य सही नहीं है। इसलिए उसको सलाखों के पीछे डालकर सख्त सजा देना या जान से मार डालना सही है।
- एक तरह से यह अच्छा भी है कि वह जान से मार दिया जाए, क्योंकि जिंदा रहेगा तो खुद भी और पाप करेगा और दूसरों के जीवन को भी संकट में डालेगा।
- हमारा शास्त्र कहता है कि आततायी को मार देना ही उत्तम है। आततायी का वध करना शास्त्र सम्मत है। छोड़ा गया, तो वह लाखों की जान ले सकता है।
- आततायी उसे कहते हैं कि जो सोए हुए लोगों को, निर्दोष लोगों की जान लेता है। रेलवे स्टेशन पर अंधाधुंध गोलियां चलाने वाला आततायी होता है।
(सपने में दिखाई दें दिवंगत आत्माएं, तो परेशान न हों, करें बस यह काम... पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
क्या आतंकी में भी भगवान नहीं है?
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि हम सब दयालु स्वभाव के हैं। शास्त्र हमें दयालु होना सिखाता है, लेकिन हे भगवान, यदि आप आतंकी के रूप में आओगे, तो शास्त्र नहीं, फिर शस्त्र उठाना होगा। भगवान के ऐसे रूप की दंड विधान रूपी पूजा की जाएगी।
भगवान सौम्य रूप धारण करके आएंगे तो हम हाथ जोड़ लेंगे। शस्त्र और शास्त्र, दोनों से समाज को नियंत्रित किया जाता है। पहले शास्त्र के ज्ञान की बात करेंगे और जो इस ज्ञान की मर्यादा का उल्लंघन करेगा, उसे शस्त्र के द्वारा ठीक कर दिया जाएगा।