मल्टीमीडिया डेस्क। वैदिक शास्त्रों के अनुसार, राहुकाल में शुभ कार्य आरंभ करने से बचना चाहिए। राहुकाल में घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए, कोई महत्वपूर्ण या मांगलिक कार्य भी नहीं करना चाहिए। दरअसल, राहुकाल में शुरू किए गए कार्य पूरे नहीं होते हैं। कार्यों में सफलता के लिए अत्यधिक प्रयास करने पड़ते हैं, कार्यों में अकारण की दिक्कत आती हैं, या कार्य अधूरे ही रह जाते हैं।
इसलिए इस दौरान कामों को करने से बचना चाहिए। राहुकाल के विषय में मान्यता हैं कि इस समय प्रारम्भ किए गए कुछ लोगों का मानना हैं कि राहुकाल के समय में किए गए कार्य विपरीत व अनिष्ट फल प्रदान करते हैं। यह समय स्थान और तिथि के अनुसार अलग-अलग होता है। राहुकाल का समय डेढ़ घंटा होता है। यह ग्रह अशुभ फल प्रदान करता है।
इसलिए इसके आधिपत्य का जो समय रहता है, उस दौरान शुभ कार्य करना वर्जित माने गए हैं। राहुकाल विचार दिन में ही किया जाता है। राहुकाल का विशेष विचार रविवार, मंगलवार तथा शनिवार को आवश्यक माना गया हैं। बाकी दिनों में राहुकाल का प्रभाव विशेष नही होता है।
राहु काल में क्या न करें
इस काल में यज्ञ नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही नए व्यवसाय को शुरू करना कोई नया कॉन्ट्रेक्ट लेना या डील नहीं करनी चाहिए।
इस काल में किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए यात्रा भी नहीं करनी चाहिए। यदि आप घूमने की योजना बना रहे हैं तो इस काल में यात्रा की शुरुआत न करें। यदि राहुकाल के समय यात्रा करना जरूरी हो तो पान, दही या कुछ मीठा खाकर निकलें। घर से निकलने के पूर्व पहले 10 कदम उल्टे चलें और फिर यात्रा पर निकलें।
राहुकाल में विवाह, सगाई, धार्मिक कार्य या गृह प्रवेश जैसे कोई भी मांगलिक कार्य नहीं करते हैं। इस काल में शुरु किया गया कोई भी शुभ कार्य बिना बाधा के पूरा नहीं होता। इसलिए यह कार्य न करें। यदि कोई मंगलकार्य या शुभकार्य करना हो तो हनुमान चालीसा पढ़ने के बाद पंचामृत पीएं और फिर कोई कार्य करें।
राहुकाल के दौरान अग्नि, यात्रा, किसी वस्तु का क्रय विक्रय, लिखा पढ़ी व बहीखातों का काम नहीं करना चाहिए। राहु काल में वाहन, मकान, मोबाइल, कम्प्यूटर, टेलीविजन, आभूषण या अन्य कोई भी बहुमूल्य वस्तुएं भी नहीं खरीदनी चाहिए।