Nag Panchami 2022: सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन सर्प देवता से जुड़े प्रमुख मंदिरों में पूजन का विधान है। नागों से जुड़े पावन तीर्थ तक्षक तीर्थ का खास महत्व है। पाताल लोक में निवास करने वाले आठ प्रमुख नागों में तक्षक को सर्पजाति का स्वामी माना गया है। जिनकी पूजा करने से विषबाधा और दोष दूर होता है। मान्यता है कि सावन माह में तक्षक तीर्थ पर विधि-विधान से पूजा करने जातक और उसके वंशज सर्प दंश से मुक्त हो जाते हैं।
कहां पर है तक्षक तीर्थ
नागों से जुड़ा पावन तक्षक तीर्थ प्रयागराज में यमुना तट पर स्थित है। प्रयागराज के दरियाबाद मोहल्ले में स्थित पावन धाम को बड़ा शिवाला कहते हैं। यहां पर सड़क, रेल और वायु मार्ग से पहुंचा जा सकता है।
तक्षक तीर्थ से जुड़ी पौराणिक कथा
तक्षक तीर्थ से जुड़ी कथा का वर्णन श्री प्रयाग महात्म्य शताध्यायी के 92 अध्याय में है। जिसके अनुसार अश्विनी कुमार ने किष्किंधा पर्वत पर पारद का रसराज बनाया था। वहीं पर गुफा में रखकर चले गए। इसके बाद जब अश्विनी दोबारा वहां पर रसराज लेने गए तो उन्हें पारद पात्र सूखा मिला। इसके बाद अश्विनी स्वर्ग पहुंचे और इसकी जानकारी इंद्र को दी। तब इंद्र ने चोर का पता लागने को कहा। इस घटनाक्रम का पता जब तक्षक नाग को चला, वह पाताल से प्रयागराज के यमुना तट पर आकर रहने लगा। बहुत खोजने पर जब तक्षक नाग का पता नहीं चला। तब देवगुरु बृहस्पति ने इसका राज खोला। बताया कि तक्षक नाग ने तीर्थों के राजा प्रयागराज में आश्रय लिया है। वह वहां पर हमेशा भगवान श्रीकृष्ण में अपना ध्यान जमाए रखता है। ऐसे में उसका वध करना असंभव है। यह जानने के बाद देवता शांत हुए। मान्यता है कि आज तक तक्षक नाग इसी पवित्र तीर्थ पर निवास करते हैं। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण द्वारा मथुरा से भगाए जाने के बाद तक्षक नाग ने तक्षकेश्वर कुंड में शरण ली थी।
तक्षक तीर्थ का धार्मिक महत्व
विष्णु पुराण के अनुसार तक्षक तीर्थ को पुण्य फल देने वाला माना गया है। पद्म पुराण के अनुसार प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तक्षक तीर्थ पर शिवजी का रुद्राभिषेक और पूजा का महत्व है। मार्गशीर्ष, अगहन और सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी पर तक्षक तीर्थ पर भक्त पूजा करने आते हैं। मान्यता है कि तक्षक कुंड में स्नान करने, पूजा और दान करने से सर्पदंश आदि जुड़ी बाधाओं से मुक्ती मिलती है।
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