जयद्रथ के पिता ने दिया था अजीब शाप लेकिन क्यों ?
द्वापर युग में सिंधु देश के राजा थे वृद्धक्षत्र। उनका एक पुत्र था नाम था जयद्रथ।
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Publish Date: Fri, 03 Jul 2015 03:08:05 PM (IST)
Updated Date: Fri, 03 Jul 2015 03:12:25 PM (IST)
द्वापर युग में सिंधु देश के राजा थे वृद्धक्षत्र। उनका एक पुत्र था नाम था जयद्रथ। राजा को यह पुत्र तप करने के बाद हुआ था। जयद्रथ का जब जन्म हुआ तब उस समय यह भविष्यवाणी हुई कि, 'यह राजकुमार यशस्वी होगा, पर एक श्रेष्ठ क्षत्रिय के हाथों सिर काटे जाने से इसकी मृत्यु होगी।'
यह बात सुनकर वृद्धक्षत्र काफी दुःखी हो गए। उन्होंने तत्काल शाप दिया, 'जो भी मेरे पुत्र को मारेगा, और उसके हाथों जैसे ही यह सिर धरती पर गिरेगा उस व्यक्ति के सिर के उसी क्षण सौ टुकड़े हो जाएंगे।' समय बीतता गया। जयद्रथ जब युवा हुआ तो उसे राजा ने सिंहासन पर बैठाया और स्वयं तप करने वन चले गए।'
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वह 'स्यमंत पंचक' स्थान पर जाकर रहने लगे। कहते हैं यही स्यमंत पंचक स्थान आगे चलकर कुरुक्षेत्र के नाम से विख्यात हुआ। उधर, जयद्रथ को मारने की अर्जुन की प्रतिज्ञा के समाचार जासूसों द्वारा कौरवों की छाबनी तक पहुंचा। यह सुनकर जयद्रथ, दुर्योधन के पास पहुंचा।
उसने कहा, 'मुझे युद्ध की बिल्कुल चाह नहीं है। लेकिन दुर्योधन ने उसे समझाते हुए कहा हमारी तरफ वीरों की विशाल श्रृंखला है। तो जयद्रथ तुम इतने भयभीत क्यों हो रहे हो।'
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इसके बाद जयद्रथ गुरु द्रोण से मिलने पहुंचा, आचार्य ने अचानक जयद्रथ को अपने पास आया देख कहा, 'जयद्रथ मैंने तुम्हें और अर्जुन को एक ही शिक्षा दी है। लगातार अभ्यास करने के चलते अर्जुन तुमसे श्रेष्ठ हो गया। इसमें कोई संदेह नहीं, लेकिन तुम भयभीत न हो। आने वाले दिन हम ऐसे व्यूह की रचना करेंगे। जो तुम्हें पिछले मोर्चे पर सुरक्षित रहेगा।'