क्रोधित पत्नी ने दिया था ब्रह्मा को ये श्राप, सावित्री को मनाने देवी-देवताओं ने किए थे कई जतन
ब्रह्मा जी को संसार का रचियता कहा जाता है, वहीं भगवान विष्णु को पालनहार और भोलेनाथ को संहारक माना गया है।
By Sushma Barange
Edited By: Sushma Barange
Publish Date: Tue, 30 Apr 2019 04:25:37 PM (IST)
Updated Date: Thu, 09 May 2019 05:55:31 PM (IST)
हिंदू धर्म में ब्रह्मा, विष्णु और महेश को त्रिदेवों के रूप में पूजा जाता है। ब्रह्मा जी को संसार का रचियता कहा जाता है, वहीं भगवान विष्णु को पालनहार और भोलेनाथ को संहारक माना गया है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि पूरी दुनिया में ब्रह्मा जी के केलव 3 ही प्रसिद्ध मंदिर है, जबकि भगवान विष्णु और शिव के बहुत से मंदिर हैं।
पुराणों के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी ने पृथ्वी की भलाई के लिए यज्ञ का विचार किया। यज्ञ की जगह का चुनाव करने के लिए उन्होंने अपने एक कमल को पृथ्वी लोक भेजा और जिस स्थान पर कमल गिरा उसी जगह को ब्रह्मा ने यज्ञ के लिए चुना। ये जगह राजस्थान का पुष्कर शहर था, जहां उस पुष्प का एक अंश गिरने से तालाब बन गया था। उसके बाद ब्रह्मा जी ने यज्ञ करने के लिए पुश्कर पहुंचे, लेकिन उनकी पत्नी सावित्री ठीक पर नहीं पहुंची।
यज्ञ का शुभ मुहूर्त बीतता जा रहा था, लेकिन सावित्री का कुछ पता नहीं था। सभी देवी-देवता यज्ञ स्थल पर पहुंच चुके थे। ऐसे में ब्रह्मा जी ने नंदिनी गाय के मुख से गायत्री को प्रकट किया और उनसे विवाह कर अपना यज्ञ शुभ समय पर शुरू किया। कुछ देर बाद सावित्री यज्ञ स्थल पर पहुंची और ब्रह्मा दी के बगल में किसी और स्त्री को देख क्रोधित हो गई। सावित्री ने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि इस पृथ्वी लोक में आपकी कहीं पूजा नहीं होगी।
गुस्सा शांत होने पर मौजूद देवी-देवताओं ने सावित्री से अपना श्रॉप वापस लेने की प्रार्थना की। इस पर सावित्री ने कहा कि, धरती पर सिर्फ पुष्कर में ही ब्रह्मा दी की पूजा होगी। इसके अलावा जो कोई भी आपका दूसरा मंदिर बनाएगा उसका विनाश हो जाएगा।