Sheetala Mata: चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी-अष्टमी तिथि पर शीतला माता का खास पर्व शीतलसप्तमी-अष्टमी मनाया जाएगा। ज्योतिष पदम भूषण स्वर्ण पदक प्राप्त ज्योतिषचार्य डॉ पंडित गणेश शर्मा ने बताया की यह दिन पुत्रवती माताओं के लिए बहुत खास हैं, क्योंकि महिलाएं अपने पुत्र की लंबी आयु और अच्छी सेहत के लिए यह व्रत करती है। मान्यता के अनुसार शीतला माता देवी भगवती दुर्गा का ही एक रूप है। अत: इनका पूजन करते हुए इस दिन माताएं ठंडा या बासी खाने का भोग लगाकर खुद भी यह ग्रहण करती है। शीतला सप्तमी तथा अष्टमी के एक दिन पूर्व ही कई प्रकार के पकवान माता शीतला को भोग लगाने के लिए तैयार करके अष्टमी के दिन उन्हें इन्हीं बासी पकवान को नैवेद्य के रूप में देवी शीतला माता को समर्पित किए जाते है।
शीतला माता की पूजा विधि
शीतला सप्तमी-अष्टमी के दिन अलसुबह जलदी उठकर माता शीतला का ध्यान करें। शीतला सप्तमी के दिन व्रती को प्रातः कर्मों से निवृत्त होकर स्वच्छ व शीतल जल से स्नान करना चाहिए।सप्तमी के दिन महिलाएं मीठे चावल, हल्दी, चने की दाल और लोटे में पानी लेकर पूजा करती हैं। माता शीतला को जल अर्पित करें और उसकी कुछ बूंदे अपने ऊपर भी डालें। जो जल चढ़ाएं और चढ़ाने के बाद जो जल बहता है, उसमें से थोड़ा जल लोटे में डाल लें। यह जल पवित्र होता है। इसे घर के सभी सदस्य आंखों पर लगाएं। थोड़ा जल घर के हर हिस्से में छिड़कना चाहिए। इससे घर की शुद्धि होती है। इसके पश्चात एक दिन पहले बनाए हुए (बासी) खाद्य पदार्थों, मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी, दाल-भात आदि का भोग लगाएं। ज्ञात हो कि शीतला सप्तमी के व्रत के दिन घरों में ताजा भोजन नहीं बनता है। अत: भक्त इस दिन एक दिन पहले बने भोजन को ही खाते हैं और उसी को मां शीतला को अर्पित करते हैं।कथा पढ़ने के बाद माता शीतला को भी मीठे चावलों का भोग लगाएं।रोगों को दूर करने वाली मां शीतला का वास वट वृक्ष में माना जाता है, अतः इस दिन वट पूजन भी भी करना चाहिए। कई स्थानों पर शीतला सप्तमी को लोग गुड़ और चावल का बने पकवान का भोग लगाते हैं। पूजा करने के बाद गुड़ और चावल का प्रसाद का वितरण भी किया जाता है।
जिस घर में सप्तमी-अष्टमी तिथि को शीतला सप्तमी-अष्टमी व्रत का पालन किया जाता है, वहां घर में सुख, शांति बनी रहती है तथा रोगों से मुक्ति निजात भी मिलती है। इसी तरह चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भी देवी मां शीतला की पूजा करने का विधान है।
शीतला के समय पालन करने योग्य नियमों का उल्लंघन किया। तो तुम्हें ऐसी हालत में नमक का प्रयोग बंद करना चाहिए। नमक से रोगी के फोड़ों में खुजली होती है। घर की सब्जियों में छौंक नहीं लगाना चाहिए क्योंकि इसकी गंध से रोगी का मन उन वस्तुओं को खाने के लिए ललचाता है। रोगी का किसी के पास आना-जाना मना है क्योंकि यह रोग औरों को भी होने का भय रहता है। अतः इन नियमों का पालन करना चाहिए
शीतला माता के उपाय
शीतला सप्तमी का व्रत और पूजन अच्छी सेहत खुशियां देने वाला माना जाता है। मां शीतला का पूजन जीवन में सभी तरह के ताप से बचने के लिए सर्वोत्तम उपाय माना जाता है। शीतला सप्तमी तथा अष्टमी व्रत दुर्गंधयुक्त फोड़े, नेत्र रोग तथा शीतलाजनिक रोगों से मुक्ति के लिए बहुत फलदायी। अत: इस दिन माता का शीतल जल से अभिषेक-पूजन करने से देवी शीतला प्रसन्न होकर स्वस्थ रहने का वरदान देती है। शीतला सप्तमी-अष्टमी के दिन माता शीतला को जल अर्पित करके उसकी कुछ बूंदे अपने ऊपर डालना चाहिए, इस उपाय से शरीर की गर्मी दूर होकर माता का आशीष मिलता है। माता शीतला को ठंडी चीजों का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करने से जीवन खुशहाल बनता है।
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