धर्म डेस्क, इंदौर। "नहाय खाय" एक पारंपरिक अवसर है, जो विशेष रूप से छठ पूजा और अन्य प्रमुख त्योहारों के बाद मनाया जाता है। इस दिन लोग स्नान करके शुद्धि प्राप्त करते हैं और फिर पारंपरिक भोजन का सेवन करते हैं। यह परंपरा शारीरिक और मानसिक शुद्धता का प्रतीक है। "नहाय खाय" का उद्देश्य न केवल शरीर को ताजगी प्रदान करना है, बल्कि मन और आत्मा की शुद्धि भी है, जिससे नए संकल्पों और शुभारंभ की शुरुआत होती है।
इस साल छठ का त्योहार 5 नवंबर 2024 दिन मंगलवार को मनाया जा रहा है। नहाय खाय से ही छठ की शुरूआत होती है। इस दिन तालाब या नदी में नहाने के बाद सात्विक भोजन के साथ व्रत की शुरूआत की जाती है। चार दिन चलने वाला यह व्रत नहाय खाय से शुरू होकर उषा अर्घ्य पर समाप्त होता है।
स्नान और शुद्धता: इस दिन सबसे पहले व्यक्ति को पूरी तरह से स्वच्छ स्नान करना होता है। यह शारीरिक और मानसिक शुद्धता का प्रतीक है।
निराहार उपवासी: इस दिन खास तौर पर लोग उपवासी रहते हैं। बिना किसी खाद्य पदार्थ के दिन की शुरुआत नहीं करते। केवल शुद्ध और पवित्र भोजन का सेवन किया जाता है।
पारंपरिक भोजन: नहाय खाय के दिन विशेष पकवान तैयार किए जाते हैं, जैसे कि कद्दू, चिउड़े, चावल, दाल, और फलाहारी भोजन। यह भोजन विशेष रूप से त्योहार या पूजा से संबंधित होता है।
नवीनता और ताजगी: इस दिन पुराने बर्तन या सामग्री का उपयोग नहीं किया जाता। नए बर्तनों का उपयोग किया जाता है, जिससे दिन की पवित्रता बनी रहे।
पूजा और आशीर्वाद: नहाय खाय के साथ-साथ परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर पूजा करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं।
स्वच्छता का ध्यान रखना: पूरे घर में साफ-सफाई रखी जाती है। घर के हर कोने को शुद्ध करने की कोशिश की जाती है।
धार्मिक अनुष्ठान: इस दिन पूजा और धार्मिक अनुष्ठान भी महत्वपूर्ण होते हैं। विशेष रूप से देवी-देवताओं की पूजा और उनका आशीर्वाद लिया जाता है।