Astrology News: सनातन धर्म में सभी देवी-देवताओं की पूजा स्थल पर परिक्रमा लगाई जाती है। पीढ़ियों से हम यह करते आ रहे हैं। हमें ऐसा सीखिया जाता है कि किसी भी देवी-देवता की उपासना में परिक्रमा का विशेष महत्व होता है। इसके बिना हमारी पूजा अधूरी रह जाती है। परिक्रमा से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं। सभी समस्याओं का समाधान करते हैं। लेकिन, क्या सभी देवी-देवताओं की परिक्रमा लगाई जाती है ? परिक्रमा कितनी भी लगाई जा सकती है ? परिक्रमा का कोई नियम नहीं है ? आइए जानते हैं ऐसे संबंध में शास्त्र क्या कहते हैं।
परिक्रमा के लाभ
सनातन धर्म के शास्त्रों में वर्णित है कि धार्मिक स्थलों में पर दंडवत परिक्रमा करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है। जैसी परिक्रमा आप खाटूश्याम या गिरिराज पर्वत लोगों को लगाते हुए देखते हैं। किसी भी देवता की मूर्ति की परिक्रमा करने के बाद उसे अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए। आपने जहां से उसे आरंभ किया था, वहीं उसका समापन होता है। परिक्रमा के समय एकदम शांत रहना चाहिए। मन में उन्हीं देवी-देवता का स्मरण करना चाहिए।
किस देवता के कितनी परिक्रमा करें
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, सभी देवी-देवताओं की परिक्रमा का अलग-अलग विधान बताया गया है। भगवान शिव की आधी परिक्रमा करनी चाहिए क्योंकि सोम सूत्र को लांघना उचित व सही नहीं माना गया है। सोम सूत्र शिवलिंग से दूध व जल की बहनी वाली धारा को कहा जाता है। इसी तरह सूर्य भगवान की सात बार परिक्रमा करनी चाहिए और साथ में सूर्य देव के मंत्रों का जाप करना चाहिए। देवी मां दुर्गा की केवल एक परिक्रमा दी जाती है। इसी तरह भगवान गणेश की परिक्रमा तीन बार करनी चाहिए।भगवान विष्णु की परिक्रमा चार बार करनी चाहिए। शास्त्रों में अन्य देवताओं के लिए तीन परिक्रमा का उल्लेख मिलता है।
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