- मौलाना वहीदुद्दीन खान
हममें से ज्यादातर लोग कंफर्ट जोन में रहना पसंद करते हैं। यहां उन्हें आराम और सुरक्षा का अहसास जो होता है। हर व्यक्ति जिंदगी के किसी न किसी मोड़ पर कंफर्ट जोन वाले अनुभव से गुजरता है। मगर कंफर्ट जोन कोई हकीकत नहीं है बल्कि यह तो हमारी मनोवैज्ञानिक स्थिति है। उदाहरण के लिए शादी से पहले लड़का और लड़की अपने परिजनों के साथ रहते हैं।
यह उनके लिए कंफर्ट जोन बन जाता है। मगर विवाह के बाद उन्हें रक्त संबंधियों के अतिरिक्त अन्य लोगों के साथ भी रहना पड़ता है। यह दोनों के लिए नॉन-कंफर्ट जोन बन जाता है। मगर ऐसा होने की कोई असल वजह नहीं होती है बल्कि यह तो उनकी सोच पर निर्भर करता है। अगर लड़का और लड़की इस बात को समझते हैं तो वे दोनों इसका प्रबंधन करके आगे बढ़ते हैं।
संस्थाओं को लेकर भी कंफर्ट जोन पैदा हो जाता है। जब कोई कर्मचारी एक ही संस्थान में लंबे समय तक रहता है तो उसका कार्यस्थल उसके लिए कंफर्ट जोन बन जाता है और वह उससे बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है। मगर फिर से विचार कीजिए कि यह मनोवैज्ञानिक स्थिति ही है। इस तरह की सोच का कोई असल कारण नहीं होता है। आपका कंफर्ट जोन आपके लिए आरामदायक हो सकता है लेकिन यह सब कुछ आपकी सोच पर ही निर्भर करता है। अगर आप लीक से अलग सोच पाते हैं तो हर स्थिति में आप कंफर्ट जोन से बाहर हैं।
दरअसल कंफर्ट जोन से मतलब यही होता है कि व्यक्ति चुनौतियों का सामना करने की कूवत खो देता है। कंफर्ट जोन में व्यक्ति शांति की जिंदगी जीता है मगर चूंकि जिंदगी में कोई चुनौती नहीं होती है तो आपको नए अनुभव भी हासिल नहीं होते हैं। इससे आप क्रिएटिव थिंकिंग (रचनात्मक विचारों) से दूर हो जाते हैं। तब सबसे बड़ा नुकसान यही होता है कि आपका बौद्धिक विकास ज्यादा नहीं होता है और आप एक जगह ठहर जाते हैं।
इसके उलट, आप कंफर्ट जोन में होने को इतना ज्यादा महत्व नहीं देते हैं अंौर किसी भी तरह की स्थिति का सामना करने को तैयार रहते हैं तो आप हर समय नए अनुभव पा सकते हैं। तब हर मोड़ पर आपको नए अनुभव हासिल हो सकते हैं। इन नई स्थितियों का सामना करके आप रचनात्मक ढंग से सोचने की क्षमता विकसित कर सकते हैं।
कंफर्ट जोन में आपको हर तरह का आराम हासिल हो सकता है लेकिन उसी दायरे में बने रहने से आपका विकास रुक जाता है। कंफर्ट जोन में रहकर आप चुनौतियों का सामना करने की क्षमता खो बैठते हैं। हालांकि आप दफ्तर के कंफर्ट जोन में काम करते हैं लेकिन आप घर में भी विभिन्ना मुश्किलों का सामना करने में तकलीफ महसूस करने लगते हैं क्योंकि आपकी सोच आरामदायक हो गई है। शुरुआत में आप नौकरी में ही चीजों का हल तलाशने में तकलीफ महसूस करते हैं लेकिन धीरे-धीरे यह जिंदगी के दूसरे क्षेत्रों में भी होने लगता है।
कंफर्ट जोन को आप 'नॉन क्रिएटिव जोन' भी कह सकते हैं। जब कोई पक्षी किसी पिंजरे में रहता है तो वह पिंजरा उसके लिए कंफर्ट जोन बन जाता है क्योंकि उसे अपने पंखों का इस्तेमाल ही नहीं करना पड़ता है। मगर इस तरह पक्षी कैदी हो जाता है। यह उसके लिए अच्छा नहीं है। मगर यहां याद रखें कि अपनी महत्वाकांक्षा के चलते कंफर्ट जोन से बाहर कूद पड़ना भी ठीक नहीं है। अगर आप माहौल और परिस्थितियों को बदलना चाहते हैं तो नए जगह की ओर बढ़िए। नए प्रस्तावों को स्वीकार करने में झिझकिए नहीं। हर हाल में याद रखिए कि आप ही कंफर्ट जोन बनाते हैं इसलिए उसे तोड़ना भी आपके ही हाथ है।