Dev guru Brihaspati: किसी भी ग्रह के उदय और अस्त होने का बहुत महत्व रहता है। खासतौर पर इसका सीधा असर मानव जीवन पर देखने को मिलता है। ऐसे में देव गुरु बृहस्पति के उदय और अस्त होने का बहुत ज्यादा असर मानव जीवन पर पड़ता है।
देवगुरु बृहस्पति 01 अप्रैल 2023 को शाम 07 बजकर 12 पर मीन राशि में अस्त होने जा रहे हैं। उसके बाद देवगुरु बृहस्पति मई के पहले सप्ताह में मेष राशि में उदित होंगे, जिसकी वजह से कुछ राशियों पर इसका गहरा असर देखने को मिलेगा। आइए जानते देवगुरु के अस्त होने से किन-किन राशियों पर इसका प्रभाव पड़ने वाला है।
मेष (Aries): देव गुरु बृहस्पति मेष राशि के जातकों के लिए नौंवे और बारहवें भाव के स्वामी है। इस राशि के जातकों थोड़ा संभलकर काम करने की आवश्यकता है। कड़ी मेहनत के बाद इस राशि के जातकों को कार्यस्थल पर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
साथ ही काम के सिलसिले में विदेश जाने के योग भी बन रहे है। जिसकी वजह से आपको गुस्सा भी आ सकता है। जिस पर आपको नियंत्रण रखने की आवश्यकता है।
वृष (Taurus): बृहस्पति वृष राशि के जातकों के लिए आठवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी है। इस राशि के जातकों को मेहनत के बाद भी बाधाओं का सामना करना पड़ता है। पेशेवर रूप से कार्यस्थल का असंतोषजनक माहौल आपकी चिंता का कारण बन सकता है।
मिथुन (Gemini): मिथुन राशि के जातकों के लिए बृहस्पति सातवें और दसवें भाव के स्वामी है। पेशेवर रूप से इस राशि के जातकों के लिए करियर में उन्नति के योग बन रहे हैं।
वहीं साझेधारी के साथ बिजनेस करने वाले जातकों में विवाद की स्थिति बन रही है। जिसकी वजह से आपके व्यापार पर असर पड़ सकता है।
कर्क (Cancer): देवगुरु बृहस्पति कर्क राशि के छठे और नौवें भाव के स्वामी है। बृहस्पति के अस्त की वजह से इस राशि के जातकों को कुछ बाधाओं का सामना करना पड़ेगा।
वहीं समय ठीक नहीं होने की वजह से आपको छोटे कार्य को पूरा करने में भी अधिक समय लगेगा।
सिंह (Leo): सिंह राशि के जातकों के लिए बृहस्पति पांचवें और आठवें भाव का स्वामी है। इस राशि के जातकों के मित्रों और प्रियजनों के साथ संबंध खराब हो सकते है। जिसकी वजह से आपकी छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
कन्या (Virgo): कन्या राशि के जातकों के लिए बृहस्पति चौथे और सातवें भाव के स्वामी है। देव गुरु के अस्त होने की वजह से आप पर काम का प्रेशर बढ़ने वाला है। जिसकी वजह से नौकरी में परिवर्तन के योग भी बन रहे है। वहीं व्यापार करने वालों के लिए हानि के योग बन रहे है।
तुला (Libra): बृहस्पति तीसरे और छठे भाव के तुला राशि के स्वामी है। कार्यस्थल पर सहजता तो बनी रहेगी, लेकिन अधिकारियों के साथ संबंध में कुछ खटास आ सकती है। जिसकी वजह से आप चिंता में रहेंगे। वहीं व्यवसाय कर रहे जातकों को लाभ मिलेगा। हालांकि आपकी अपेक्षा से थोड़ा कम मुनाफा होगा।
वृश्चिक (Scorpio): वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बृहस्पति दूसरे और पांचवें भाव का स्वामी है। इस दौरान आपको आर्थिक समस्याओं से भी गुजरना पड़ सकता है। कार्यस्थल पर आपको समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस दौरान आपको कार्यस्थल पर न तो सराहना मिलेगी और न ही सहकर्मियों की ओर से कोई सहयोग मिलेगा।
धनु (Sagittarius): धनु राशि के जातकों के लिए बृहस्पति प्रथम और चौथे भाव के स्वामी है। इनके अस्त होने से आपको धीमी गति से परिणाम प्राप्त होंगे। इस दौरान आपको नौकरी से भी हाथ धोना पड़ सकता है। साथ ही कार्यस्थल पर आपकी छवि धूमिल हो सकती है।
मकर (Capricorn): देव गुरु बृहस्पति तीसरे और बारहवें भाव के स्वामी है। बृहस्पति के अस्त होने का असर आपके जीवन पर पड़ सकता है। इसकी वजह से आपके पारिवारिक जीवन में कुछ समस्याएं आ सकती है।
वरिष्ठों के साथ संबंध में कुछ मतभेद हो सकते है। वहीं नौकरी में जिस चीज की आप उम्मीद कर रहे है। वो भी आपके हाथ नहीं लगने वाली है।
कुंभ (Aquarius): कुंभ राशि के जातकों के लिए बृहस्पति दूसरे और ग्यारहवें भाव का स्वामी है। इसके कारण आपको अपने जीवन में कुछ असफलताओं और परिवर्तन का सामना करना पड़ सकता है।
इस दौरान आपको नौकरी में परिवर्तन भी करना पड़ सकता है। जिसकी आपने उम्मीद भी नहीं की थी।
मीन (Pisces): मीन राशि के जातकों के लिए बृहस्पति प्रथम और दशम भाव के स्वामी है। काम के अत्यधिक दबाव की वजह से आपको चिंता हो सकती है।
वहीं व्यवसायियों को हानि का मुंह देखना पड़ सकता है। इस दौरान किसी भी नए व्यवसाय में कदम बढ़ाने की ओर विचार भी न करें।