Dil Ki Baat NaiDunia Ke Sath : जितेंद्र मोहन रिछारिया, जबलपुर। वे दूरसंचार और आइटी के ऐसे अभियंता हैं, जिनका देश ही नहीं बल्कि विदेश तक नाम है। वे ऐसे लेखक हैं जो शोध के साथ प्रमाणिक लेखन के लिए जाने-जाते हैं। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार विभाग का दायित्व निभाने के साथ प्रज्ञा प्रवाह का काम भी देखते हैं। वे ऐसे वक्ता हैं, जिन्हें सुनने के लिए दूसरे शहरों से लोग आते हैं। ऐसे विचारक, लेखक, इंजीनियर प्रशांत पोल ने नईदुनिया के साथ दिल की बात साझा की।
हाल ही में उनकी पुस्तक वे पंद्रह दिन को मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी ने महादेवी वर्मा पुरस्कार देने की घोषणा की है। जब इंटरनेट मीडिया के कारण आज की युवा पीढ़ी के भ्रमित होने की बात होती है तो वे पूरी दृढ़ता के साथ उसके पक्ष में नजर आते हैं। वे कहते हैं, आज का युवा जितना सजग और जानकार है, उतना शायद मेरी पीढ़ी का युवा नहीं था। उसके लिए राष्ट्र सर्वप्रथम है। वह राष्ट्र के बारे में सोचता है, मानता है, जानता है। उसके प्रगटीकरण का स्वरूप अलग हो सकता है।
देश के बदल रहे स्वरूप के बारे में आशान्वित विचारक प्रशांत पोल मानते हैं कि जितने भी स्टार्टअप चालू हो रहे हैं, उन्हें देख लीजिए। देश के लिए नया करने वाले युवाओं की बड़ी संख्या सामने आ रही है। ये जबरदस्त काम कर रहे हैं। आत्मनिर्भर भारत में युवाओं की भूमिका बढ़ी है। इसके कई उदाहरण हैं, चाहे भारत में वेंटिलेटर बनाने की बात हो, पीपीई किट की, सबमें युवाओं का योगदान रहा। पढ़ा-लिखा युवा आज खेती में आकर उसे नया स्वरूप दे रहा है। इसीलिए इनके बारे में बहुत ज्यादा आशान्वित हूं और मैं मानता हूं कि आज की यह पीढ़ी पूरे राष्ट्र और समाज के प्रति संवेदनशील है।
कोरोना काल की बात चली तो उन्होंने बताया कि अभी हाल ही में कोरोना काल में संवेदनशील भारत की गाथा नाम की एक पुस्तक का संपादन किया है। इस पर काम करते समय सारे देश के अनुभव मिले। वे सब अद्भुत हैं। मुझे नहीं लगता कि पूरे विश्व में ऐसा कोई देश होगा, जिसने कोरोना का भारत जैसी सकारात्मक पद्धति से सामना किया हो। देश को उभारने में युवाओं का योगदान अतुलनीय है। भारत का चित्र तेजी से उभरकर आ रहा है।
शोधपरक लेखन मेरा जुनून
पोल बताते हैं कि कालेज के जमाने से ही शोधपरक लेखन मेरा जुनून रहा है। मराठी और हिंदी में स्तंभ लेखन करता रहा। भारतीय ज्ञान परंपरा पर लगातार लिखा। लोगों के आग्रह पर 2017 में यह पुस्तक भारतीय ज्ञान का खजाना के रूप में सामने आया। अब तक मराठी में इसके छह, हिंदी में चार संस्करणों के साथ यह पुस्तक अंग्रेजी और गुजराती में भी प्रकाशित हुई है। दूसरी पुस्तक वे पंद्रह दिन में स्वतंत्रता के ठीक पहले के पंद्रह दिन का लेखा-जोखा है। इन दिनों में देश का नेतृत्व का क्या कर रहा था, इस पर राजनीतिक टिप्पणी न करते हुए एक चित्र के रूप में रखा गया है। इससे पाठक स्वयं समझ जाते हैं। इसे ही पुरस्कृत किया जा रहा है। इसके हिंदी, मराठी, अंग्रेजी, गुजराती, तेलुगू और पंजाबी में संस्करण निकल चुके हैं। इसके अलावा एक पुस्तक विनाश पर्व नाम से प्रकाशित हुई है। इसमें बताया गया है कि अंग्रेजों ने किस तरह भारत की सुंदर परंपराओं और व्यवस्थाओं को छिन्न-भिन्न किया। यह पुस्तक हिंदी के अलावा गुजराती और मराठी में भी छप चुकी है।
हिंदुत्व को लेकर पूरे विश्व में आकर्षण बढ़ा
पोल की स्पष्ट राय है कि अपने भारत के लिए पूर्ण भाव से समर्पित होने वाला हिंदू है। चाहे वो किसी भी पंथ, जाति या पूजा पद्धति को मानता हो। वे कहते हैं कि अंग्रेजी का रिलीजन शब्द हिंदू धर्म के हिसाब से उचित अनुवाद या पर्यायवाची नहीं है। रिलीजन में अंग्रेज जानकार कहते हैं कि एक ईश्वर होता है, एक धर्मग्रंथ होता है, लेकिन ऐसा हिंदुत्व में नहीं है। आप ईश्वर को मानो तो भी आप हिंदू हो, न मानो तो भी आप हिंदू हो। इसीलिए विश्व के युवाओं में भारतीय विचारधारा, परंपरा और हिंदुत्व के प्रति आकर्षण बढ़ा है। लोग भारत को फालो करना चाहते हैं, उसमें ढलना चाहते हैं। यह परिवर्तन जबरदस्त तरीके से दिख रहा है।
देश के प्रति समर्पित भाव से काम कर रहा संघ
बचपन से ही आरएसएस के स्वयंसेवक पोल बताते हैं कि संघ की शाखाओं में युवाओं की संख्या बढ़ी है। शाखाओं की संख्या भी बढ़ रही है। संघ सारे समाज को जोड़ रहा है। संघ की भूमिका बड़ी स्पष्ट है। समाज को साथ में जोड़ना है। पिछले लगभग सौ साल से यही एक संगठन है जो अपनी बात पर कायम रहकर देश के प्रति अत्यंत समर्पित भाव से काम कर रहा है।
जबलपुर के सांस्कृतिक विकास की आवश्यकता
पोल मानते हैं कि जबलपुर के सांस्कृतिक रूप से विकास की आवश्यकता है। सांस्कृतिक विधाएं बढ़ेंगी, वाचन-पाठन संस्कृति आएगी तो शहर की बौद्धिक सोच का भी विकास होगा। शहर में नाट्य अभियान चलने चाहिए। शहर में कथा, काव्य जैसी और हलचल होनी चाहिए। इससे शहर सांस्कृतिक रूप से विकसित होगा और जब शहर सांस्कृतिक रूप से विकसित होगा तो आर्थिक रूप से भी अवश्य विकसित होगा।
शहर से ममत्व ही यहीं खींच लाया
35 से ज्यादा देशों में प्रवास कर चुके पोल बताते हैं कि शहर से ममत्व ही यहीं खींच लाया। अब जबलपुर से अपनी कंपनियों का कार्य करते हुए अनेक मल्टीनेशनल और आइटी कंपनियों के सलाहकार हैं। उन्होंने बालासोर के मिसाइल फायरिंग रेंज के लिए 1990 में विशेष उपकरण विकसित किया था जो उस समय देश में यूनिक था। पोल केंद्रीय सड़क परिवहन और जहाजरानी मंत्रालय में आइटी टास्क फोर्स के सदस्य के अलावा माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय की महाविद्वत परिषद के सदस्य भी हैं। उनके पास ट्रिपल आइटी जबलपुर की गवर्निंग काउंसिल के साथ महाराष्ट्र की कई संस्थाओं का दायित्व भी है।
समय का नियोजन बहुत जरूरी
वे कहते हैं कि कितनी भी व्यस्तता हो, समय नियोजन बहुत जरूरी है। इसे ढंग से कर लिया तो सारी चीजें संभव हैं। वे युवाओं को सलाह देते हैं कि काम में एकाग्रता रखें। अपनी इच्छा से काम करेंगे तो सब कर सकेंगे और अच्छा करेंगे।
एक-दूसरे की समझ आवश्यक
अपनी पत्नी सुमेधा पोल के बारे में वे कहते हैं कि वे मेरे ही विचार परिवार की हैं, यह अच्छी बात है। उनके पास राष्ट्र सेविका समिति दायित्व है जिसमें वे महाकौशल प्रांत की कार्यवाहिका हैं। वे सूतिका गृह के केंद्र की अध्यक्ष भी हैं। वे मेरी व्यस्तता जानती हैं और मैं उनकी व्यस्तता जानता हूं। इसलिए एक-दूसरे के सहभागी बनकर कार्य करते हैं।