दूल्हा कहीं का भी, सेहरा मंदसौर का, खजूर के पत्तों से होता है तैयार
मध्यप्रदेश में ग्वाला समाज का विवाह कहीं भी हो, दूल्हे के लिए खजूर का सेहरा मंदसौर में ही तैयार होता है।
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Publish Date: Mon, 20 Apr 2015 06:58:03 PM (IST)
Updated Date: Tue, 21 Apr 2015 07:28:52 AM (IST)

गौरव जोशी, मंदसौर। मध्यप्रदेश में ग्वाला समाज का विवाह कहीं भी हो, दूल्हे के लिए खजूर का सेहरा मंदसौर में ही तैयार होता है। शहर में ये सेहरे बनाने का सिलसिला पिछले साढ़े तीन दशक से चल रहा है। खजूर के सूखे पत्तों से बनने वाला आकर्षक सेहरा हस्तशिल्प का उत्कृष्ट नमूना है।
ग्वाला समाज की शादियों में फेरों के समय दूल्हे के लिए खजूर के पत्तों से तैयार विशेष सेहरा मंदसौर में ही बन रहा है। ग्वाला समाज में बाजार में मिलने वाला आम सेहरे (मोर) पहनकर फेरे नहीं लिए जाते। परंपरानुसार खजूर के सूखे पत्तों से तैयार सेहरा पहनकर ही दूल्हा रस्मे पूरी करता है। ग्वाला समाज के पुराने लोगों के पास आकर्षक सेहरा तैयार करने का हुनर था। नई पीढ़ी इसे पूरी तरह नहीं अपना सकी है।
खानपुरा इलाके में अब इस कला के दो ही कारीगर बचे हैं। सुंदरलाल ग्वाला और भाई नाथूलाल ग्वाला के हाथोेंं से बने सेहरोें की मांग प्रदेश में दूर-दूर तक जाते हैं। सुंदरलाल के अनुसार मंदसौर के अलावा नीमच, धार, महू, भोपाल, आगर, इंदौर सहित प्रदेश के ग्वाला बहुल क्षेत्रों में खानपुरा के सेहरे दूल्हों की शोभा बढ़ा रहे हैं।
सूखे पत्तों से निर्माण
सुंदरलाल यादव के अनुसार खजूर के सूखे पत्तों को आकर्षक डिजाइन देकर तैयार किया गया सेहरा 500 रुपए से लेकर 1 हजार स्र्पए तक में बिकता है। सुंदरलाल यादव ने बताया कि शादी ब्याह शुस्र् होने से करीब तीन माह पहले ही सेहरा तैयार करने का काम शुस्र् हो जाता है। एक सेहरा तैयार करने में दोे दिन लगते हैं। एक सीजन में लगभग 250 सेहरों तक के आर्डर मिल जाते हैं। रात-दिन काम कर ऑर्डर पूरे करते हैं।
ठाकुरों के लिए ताजा पत्तों के सेहरे
सुंदरलाल यादव के अनुसार श्रीकृष्ण ग्वाला समाज के आराध्य हैं। उनके समय से ही खजूर के पत्तों का सेहरा पहनने की परंपरा है। ठाकुर समाज में भी खजूर के ताजा पत्तों का सेहरा पहना जाता है, लेकिन इसे शादी के 24 घंटे पहले ही तैयार करना पड़ता है। नहीं तो पत्ते सूखने का डर रहता है।