इंदौर। सोमवार को ही केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने यह प्रस्ताव बनाया है कि देश की राजधानी दिल्ली के लुटियंस क्षेत्र के करीब 516 बंगलों को तोड़कर उन्हें नए सिरे से बनाया जाएगा। इनमें से अधिकतर बंगले लगभग 90 वर्ष पुराने हो चुके हैं और इनके आधुनिकीकरण पर अनुमानित रूप से 3,000 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है। यह सभी बंगले अंग्रेजी शासनकाल के दौरान बनाए गए थे।
शहरी विकास मंत्रालय की योजना के मुताबिक मंत्रियों, न्यायाधीशों और शीर्ष अधिकारियों के इन आवासों को कई चरणों में 20 साल के भीतर नया रूप दिया जाएगा। नए बंगलों में मॉड्यूलर किचन, सोलर वाटर हीटिंग सिस्टम के साथ ही अन्य आधुनिक सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।
यह तो हुई बात पुनर्निर्माण की, लेकिन दिल्ली में ही ऐसे दर्जनों बंगले और भी हैं, जिन्हें स्मारक बना दिया गया है। हर सत्ताधारी सरकार अपने कार्यकाल में किसी न किसी को स्मारक या कार्यालय बनाने के नाम पर बेशकीमती सरकारी बंगले नाम मात्र के किराये पर कई वर्ष लंबी लीज पर दे देते हैं। वर्तमान में दिल्ली में 190 ऐसे स्थान हैं, जिन्हें स्मारकों में तब्दील कर दिया गया है। ऐसे कई बंगलों की देखरेख भी सरकारी महकमे ही करते हैं।
कुछ महीनों पहले केंद्र की यूपीए सरकार ने लुटियंस इलाके में स्थित कृष्ण मेनन मार्ग के बंगला नंबर-6 को स्मारक में तब्दील करने का आदेश जारी किया था। मौजूदा लोकसभा अध्यक्षा मीरा कुमार के परिवार को यह बंगला 25 वर्षों के लिए लीज पर दिया गया। अब यह बंगला सन 2038 तक के लिए बाबू जगजीवन राम नेशनल फाउंडेशन के लिए रूप में जाना जाएगा। मीरा कुमार, जगजीवनराम की बेटी हैं और उन्हें अकबर रोड पर शासकीय बंगला आवंटित है। फाउंडेशन के लिए मिला यह बंगला भी उन्हीं के आधिपत्य में रहेगा। बाबूजगजीवनराम अपने अंतिम दिनों तक इसी बंगले में रह रहे थे।
कैबिनेट नोट के विस्र्द्ध
सन 2000 में तत्कालीन एनडीए नीत केंद्र सरकार ने एक कैबिनेट नोट के जरिए यह कहा था कि देश की राजधानी होने की वजह से दिल्ली में सरकारी घरों की सर्वाधिक आवश्यकता है और स्मारक बनाने की वजह से इनकी कमी बढ़ जाती है। नोट में स्पष्ट किया गया था कि 'अब से किसी भी बंगले को सरकारी स्मारक नहीं बनाया जाएगा।' इस नोट के बावजूद स्मारक बनाने के कार्य प्रगति पर हैं।
बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्षा मायावती के नाम पर भी दिल्ली में चार सरकारी बंगले आवंटित हैं। गुस्र्द्वारा रकाबगंज इलाके में स्थित इन बंगलों को मायावती ने सीपीडब्ल्यूडी विभाग के जरिए अंदर ही अंदर जोड़कर एक कर लिया है। यह सभी बंगले उन्होंने एक ट्रस्ट के नाम पर आवंटित करवाए हैं, जो अगले 19 वर्षों तक उन्हीं के आधिपत्य में रहेगा। इसके अलावा इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स, लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल, राजीव गांधी फाउंडेशन और नेहरू मेमोरियल मेमोरियल म्यूजियम व लाइब्रेरी भी ऐसे ही स्मारक हैं।
रोक का प्रस्ताव
सन 2000 में एनडीए सरकार की कैबिनेट ने यह निर्णय लिया था कि राजधानी दिल्ली के किसी भी सरकारी बंगले, खासकर लुटियन जोन के बंगलों को स्मारक नहीं बनाया जाएगा। क्योंकि राजधानी में सरकारी बंगलों और आवासों की कमी है।
20 दिसंबर 2013
बीते साल 20 दिसंबर को कैबिनेट की एकोमडेशन कमेटी ने 6, कृष्ण मेनन मार्ग बंगले को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबू जगजीवनराम फाउंडेशन को 2038 तक की लीज पर देने का आदेश जारी किया था।
लुटियन में बंगलों की संख्या
- यहां टाइप-8 श्रेणी के बंगलों की संख्या 108 है। राज्य मंत्रियों तथा सचिवों को यह बंगले आवंटित किए गए हैं।
- यह बंगले 8250 वर्गफीट क्षेत्रफल पर बनाए गए हैं और ऐसे हर बंगले में आठ शयनकक्षों के साथ ही चार सर्वेंट क्वार्टर, दो गैरेज, दो लॉन और 1970 वर्गफीट का खुला क्षेत्र है।
- टाइप-7 श्रेणी के बंगलों की संख्या 89 है। न्यायाधीशों तथा विशेष सचिवों को इस श्रेणी के बंगले आवंटित किए जाते हैं।यह बंगले 3036 वर्गफीट क्षेत्र में बनाए गए हैं। ऐसे हर बंगले में छह शयनकक्ष, तीन सर्वेंट क्वार्टर, एक गैरेज और दो लॉन होते हैं।
किनको आवंटित होते हैं लुटियन में बंगले
- केंद्रीय मंत्रियों, उच्चाधिकार प्राप्त आयोगों के अध्यक्ष, संवैधानिक एजेंसियों के प्रमुख, सचिव, पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व उपराष्ट्रपति और देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों को यहां बंगले आवंटित किए जाते हैं।
- राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को अपना मुख्यालय बनाने के लिए भी यहां बंगले आवंटित किए जाते हैं।
- भारतीय प्रेस क्लब, एफसीसी तथा ऐसे ही अन्य संगठनों को भी लुटियन में बंगले आवंटित किए जाते हैं।
1, अकबर रोड
यह बंगला पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को आवंटित था। यहीं उनकी हत्या हुई थी, इसके बाद इस बंगले को उनका स्मारक बना दिया गया।
1, मोतीलाल नेहरू प्लेस, जनपथ
देश के दूसरे प्रधानमंत्री और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय लालबहादुर बतौर प्रधानमंत्री इसी बंगले में रहते थे। उनकी मृत्यु के बाद इसे स्मारक बना दिया गया।
जवाहर भवन, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद मार्ग
इस भवन को राजीव गांधी फाउंडेशन के नाम पर आवंटित किया गया है।
1, तीन मूर्ति मार्ग
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू तीन मूर्ति भवन में रहते थे। यहीं रहते हुए उनका देहावसान हुआ था। इसके बाद इस भवन को उनका स्मारक बना दिया गया।
बंगला नंबर : 12, 14, 16, रकाबगंज रोड
बसपा प्रमुख मायावती ने तीन बंगलों को मिलाकर प्रेरणा ट्रस्ट बनाया है। यह भवन बसपा संस्थापक कांशीराम को समर्पित किया गया है।
सरकारी आवास नहीं बन सकेंगे स्मारक
बीते वर्ष जून में सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी बंगलों पर अवैध कब्जों को लेकर चिंता जताते हुए बाबुओं और नेताओं को बाहर निकालने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए थे। अदालत ने कहा था कि सरकारी बाबुओं के रिटायर होने के एक महीने बाद ही सरकारी घर खाली करना होगा। ऐसा न करने पर उनकी पेंशन रोकी जा सकती है। साथ ही सांसदों के खिलाफ कार्रवाई के लिए लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति से शिकायत करने का सुझाव देने के साथ जजों से भी रिटायरमेंट के बाद एक महीने में बंगला खाली करने को कहा है। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि भविष्य में आवासीय सरकारी बंगलों में स्मारक नहीं बनेंगे।
प्रमुख दिशानिर्देश
- सरकारी आवास में रह रहे सरकारी कर्मचारी को सेवानिवृत्ति से तीन महीने पहले आवास खाली करने का नोटिस भेजा जाना चाहिए।
- वाजिब कारण होने पर आवास खाली करने की अधिकतम समय सीमा 30 दिन बढ़ाई जा सकती है।
- समयसीमा बढ़ाने की आधारहीन और भ्रमित अर्जियां सात दिन के भीतर खारिज कर दी जानी चाहिए।
- इसके बाद अगर 15 दिन में बंगला खाली न हो तो बल का इस्तेमाल कर जबरदस्ती बंगला खाली कराया जाए।
- अवैध कब्जेदार से ब्याज सहित जुर्माना और किराया वसूला जाए।
- नियमों को और सख्त बनाया जाए।
- जब तक अवैध कब्जाधारी आवास खाली न करे उसकी पेंशन में कटौती या पेंशन रोकने का प्रावधान किया जाए।
- अर्जियों की सुनवाई और निपटारा निश्चित समयसीमा में किया जाए।