जयपुर। देश की सबसे प्रतिष्ठित और मुश्किल मानी जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा के शुक्रवार को परिणाम घोषित हो गए हैं। परीक्षा में जयपुर के रहने वाले कनिष्क कटारिया ने बाजी मारते हुए टॉप किया है। पहले ही प्रयास में सफलता हासिल करने वाले तनिष्क का ये सफर बेहद दिलचस्पी भरा है।
विदेश में एक करोड़ के पैकेज पर नौकरी करने वाले तनिष्क ने जब प्रशासिनक अधिकारी बनने की ठानी तो एक शानदार नौकरी को अलविदा कह दिया और यूपीएससी की तैयारी शुरू की और अव्वल स्थान हासिल किया।
इस परीक्षा में जयपुर के ही अक्षत जैन ने दूसरी रैंक हासिल की है। आईएएस टॉपर कनिष्क कटारिया के पिता सावरमल वर्मा राजस्थान में ही IAS हैं, जबकि इनके ताऊजी के.सी. वर्मा भी IAS हैं। वे जयपुर के संभागीय आयुक्त हैं। इसी तरह, IAS में दूसरी रैंक हासिल करने वाले अक्षत जैन के पिता डीसी जैन राजस्थान में सीनियर IPS हैं।
कनिष्क ने पहली कोशिश में ही IAS में टॉप करने का गौरव हासिल किया है। तनिष्क ने आईआईटी बॉम्बे से कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग में बीटेक किया है। यूपीएससी में उनका वैकल्पिक विषय गणित था। यूपीएससी की तैयारी करने के पूर्व तनिष्क दक्षिण कोरिया में लगभग डेढ़ साल तक सेमसंग कंपनी में में जॉब कर चुके हैं।
कनिष्क का कहना है कि नौकरी में संतुष्टि नहीं मिल रही थी, ऐसा लगता था कि वहां सिर्फ पैसा ही कमा रहे हैं। परिवार में पिता और ताऊजी IAS हैं, ऐसे में आईएएस बनकर देश की सेवा करने का मन था। नौकरी छोड़ने के बाद दो साल तक जमकर पढ़ाई की और आईएएस में पहला स्थान प्राप्त किया।
कनिष्क ने बताया कि पहली बार में आईएएस बनने की बात नहीं सोची थी। लेकिन, पिछली बार उनके दोस्त के पहले प्रयास में आईएएस में 24 वीं रैंक हासिल आई थी। तब मुझे भी ये भरोसा हुआ कि पहली बार में भी आईएएस बना जा सकता है। जो दोस्त आईएएस बन चुके है। उनसे भी लगातार जुड़े रहने और गाइडेंस लेने की बात तनिष्क ने कही।
इसी तरह, IAS में दूसरी रैंक हासिल करने वाले अक्षत जैन का कहना है कि उनकी यह दूसरी कोशिश थी। रुटीन में पढ़ाई करता था। लेकिन रोबोट बनकर पढ़ाई भी नहीं की। अक्षत का कहना है कि सफलता के लिए मस्ती और स्टडी में बेलेंस रखें। अपने पैशन को फॉलो करें। खुद पर भरोसा रखें।
आईएएस में पहली और दूसरी रैंक हासिल करने की सफलता पर प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कनिष्क और अक्षत के साथ उनके पिता और परिवार को राजस्थान का नाम रोशन करने पर बधाई दी।