जोधपुर, 20 सितम्बर। धार्मिक परेशानियों से जूझते जोधपुर पहुंचे पाक नागरिकों की वतन वापसी मुश्किल हो गई है। रविवार को इन्हें करवड़ में रोका गया था। सोमवार को उनके दस्तावेजों की उच्च स्तरीय जांच हुई। इस दौरान सभी विस्थापित सीआईडी कार्यालय के बाहर सुबह से ही बैठे रहे। आपको बता दें कि जोधपुर के करवड़ में 91 लोगों की बस को रविवार को रोका गया था। सूत्रों के मुताबिक दलालों के जाल में फंसकर, पाकिस्तान से भारत आए पाक-विस्थापित इन दिनों धडल्ले से बॉर्डर पार कर पाकिस्तान जा रहे हैं। बड़ी बात तो यह है कि एक निजी ट्रेवल एजेंसी इन विस्थापितों को भारत के अटारी बॉर्डर से पाकिस्तान छोड़ रही है। बताया यह भी जा रहा है कि अब तक तकरीबन 6 से 7 बसों से लगभग 700 लोग पाकिस्तान पहुंच चुके हैं। यह खेल सिर्फ 5-5 हजार रुपए की दलाली के लिए चल रहा है।
दलाल बिना पढ़े-लिखे इन पाक विस्थापितों को उनके परिजनों से मिलाने के बहाने उनको पाकिस्तान जाने की बात पर तैयार कर रहे हैं और गैर कानूनी तरीके से उन्हें अटारी बॉर्डर पर छोडक़र आ रहे हैं। कभी ये पाकिस्तान जाने में सफल हो जाते हैं तो कभी बॉर्डर पर ही भटकते रहते हैं। जोधपुर से रविवार को फिर से बस भर कर पाक- विस्थापित निकले तो इंटेलिजेंस एजेंसी की सूचना पर करवड़ थाने के पुलिस ने बस को रुकवाकर जांच की। इस बस में सवार करीब 91 लोगों के दस्तावेजों की जांच की जा रही है। इन 91 लोगों में 34 के पास जोधपुर का वीजा था। 1 के पास जैसलमेर का और 56 के पास हरिद्वार का धार्मिक वीजा था। किसी के पास भी रवानगी यानी लीव इंडिया का कागज नहीं था। किसी के पास एफआरओ की परमिशन नहीं थी।
बताया जा रहा है कि यहां सक्रिय दलाल इन लोगों को इनके बिछड़े परिवार से मिलाने के नाम पर पाकिस्तान ले जाने का धंधा कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार वाघा बॉर्डर पर अभी भी दो बस भर कर पाकविस्थापित बॉर्डर पार करने के इंतजार में है। वर्ष 2018, 2019 व 2020 पाकिस्तान में धार्मिक अत्याचारों से परेशान होकर ये पाक विस्थापित हिंदुस्तान आए थे। वीजा अवधि पूरी होने के बाद भी कई सालों तक देश में निवास करने के बाद अब बिना किसी एजेंसी को सूचना दिये ये लोग परिवार समेत वापस पाकिस्तान जा रहे थे।
पाक विस्थापित महिलाये जो वापस पाकिस्तान जाने के लिए बस में सवार थी।